लखनऊ: सामूहिक दुष्कर्म के मामले में फंसे उत्तर प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री गायत्री प्रजापति के लखनऊ स्थित आवास पर मंगलवार को पुलिस ने दबिश दी| हालांकि, मौके पर मौजूद अफसरों ने बताया कि वह कोई दबिश देने नहीं बल्कि केस से संबंधित जरूरी साक्ष्य जुटाने आए हैं|
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को जब यूपी पुलिस के अफसर गायत्री प्रजापति के लखनऊ में गौतमपल्ली स्थित आवास पर पहुंचे तो गायत्री वहां मौजूद नहीं थे. थोड़ी देर रुकने के बाद पुलिस वहां से वापस लौट गई. एसटीएफ के आईजी रामकुमार ने कहा कि मामले से जुड़े जो भी साक्ष्य हैं, उन्हें जुटाया जा रहा है और कार्रवाई निश्चित होगी| पिछले दिनों इस सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पीड़ित महिला ने शनिवार को सीजेएम कोर्ट में 164 के तहत अपना बयान दर्ज करा दिए हैं. वहीं इसी मामले में गिरफ्तारी पर रोक के लिए गायत्री प्रसाद प्रजापति ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर रखी है, जिसकी सुनवाई 6 मार्च को होगी|
गौरतलब है कि 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में गायत्री प्रजापति सहित सात लोगों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म, दुष्कर्म का प्रयास, धमकी, पॉस्को एक्ट सहित आईपीसी की अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था| अपनी तहरीर में पीड़ित महिला ने कहा कि वह तीन साल पहले गायत्री प्रजापति से खनन की जमीन के लिए उनके पांच गौतमपल्ली स्थित आवास पर मिली थी. जहां उन्होंने चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर दिया, जिससे वह बेहोश हो गई. इसके बाद गायत्री समेत सात लोगों ने मिलकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया|
वैसे यह कोई पहला मामला नहीं है जब गायत्री विवादों में घिरे हों. पिछले दिनों समाजवादी पार्टी में मची तकरार के पीछे भी गायत्री की भूमिका सामने आई थी. दरअसल मंत्री रहते खनन विभाग में हुए घोटालों के आरोप में सीबीआई का शिकंजा कसने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश ने उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था| मुलायम के दबाव के चलते उनकी मंत्रिमंडल में दोबारा वापसी हुई. अभी कुछ दिन पहले ही आचार संहिता उल्लंघन का मामला भी देखने को मिला, जब कानपुर से अमेठी ले जाई जा रही 4000 साड़ियों की एक खेप को पुलिस ने पकड़ा. बिल पर भी गायत्री प्रजापति का नाम था. इस मामले में केस दर्ज हुआ है|