नई दिल्ली: जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई के बाद भी मामले पर सियासत जारी है। रिहाई के बाद कन्हैया ने जेएनयू में जो भाषण दिया। अब उसपर बहस तेज हो गई है, लगभग सभी सियासी दल पार्टी लाइन के हिसाब से ही कन्हैया के भाषण पर राय दे रहे हैं। बीजेपी जहां कन्हैया के भाषण को दुर्भाग्यपूर्ण बता रही है। वहीं विपक्ष इस मामले पर सरकार पर वार कर रहा है।
कन्हैया के भाषण के बाद सरकार की तरफ से वेंकैया नायडू का कहना है कि इन छात्रों को पढ़ने के लिए पैसे दिए जाते हैं ऐसे में उन्हें राजनीति से दूर रह कर पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। उसे प्रचार मिल रहा है। वह अपनी पसंदीदा पार्टी को ज्वाइन कर सकता है जिसके संसद में सिंगल डिजिट में सांसद हैं। एबीवीपी की तरफ से कहा गया है कि उन्हें इस तरह से भाषण नहीं देना चाहिए। वहीं इस पूरे मामले पर विपक्ष का कहना है कि कन्हैया को राजनीति का शिकार बनाया गया है और उसके खिलाफ पुलिस को कोई सबूत नहीं मिले हैं।
कन्हैया कुमार की रिहाई के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा है कि मैंने कई बार बोला था “मोदी जी, स्टूडेंट्स से पंगे मत लो। मोदी जी नहीं माने। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी ट्वीट करके कहा कि कन्हैया और JNU ने देश में फर्जी राष्ट्रवादियों की खतरनाक विचारधारा के खिलाफ निर्णायक जंग की उम्मीद जगा दी है। वहीं आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने भी ट्वीट करके कहा है कि जेएनयू मामले में न्यूज चैनलों की भूमिका की जांच होनी चाहिए भोली गलतियां या फिर हिंसा भड़काने के लिए षड्यंत्रपूर्ण मिलीभगत?
वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि मैं कन्हैया को दबे कुचले लोगों की आवाज उठाने के लिए बधाई देता हूं। पहले लव जेहाद, राम मंदिर, घर वापसी, अब देशभक्ति के जरिए देश को बांटना चाहते हैं अब इन्हें कामयाबी नहीं मिलेगी। अपना विचार सब पर थोपना चाहते हैं,इसमें कामयाब नही होंगे। कन्हैया ने जबरदस्त भाषण दिया और जो भी उन्होंने कहा सही कहा।