फर्रुखाबाद: यूपी में पॉलीथीन पर प्रतिबंध है| इसके बावजूद दुकानदार चोरी-छिपे पॉलीथीन का प्रयोग करते पाए जा रहे हैं| दुकानदार ग्राहक को अभी भी चोरी छिपे पॉलीथीन के झोले में सामान दे रहे है| ग्राहक सड़क पर हाथ में पॉलीथीन को लेकर जाते नजर आ रहे है| बीते दिनों पुलिस व प्रशासन ने कुछ सख्ती भी दिखायी| कुछ दुकानदारो पर जुर्माना भी किया गया| लेकिन कोई खास असर नही हुआ| बाजार में पॉलीथीन से होने वाले नुकसानों को देखते हुए सरकारें इनपर प्रतिबंध तो लगा दिया है| इसके बावजूद इनका उपयोग बंद नहीं हो पा रहा है| ऐसे में सवाल उठता है कि क्यों नहीं सफल होता है पॉलीथीन पर प्रतिबंध?| नगर क्षेत्र में यदि नजर डाले तो दर्जनों की संख्या में लोग सड़क पर पन्नी की थैली में सामान ले जाते नजर आयेगी| जेएनआई के द्वारा ली गयी तस्वीरे इस बात की गवाह है| की पॉलीथीन पर रोंक कितनी कारगर है|
पर्यावरण एवं स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक 40 माइक्रॉन से कम पतली पॉलीथीन पर्यावरण की दृष्टि से बेहद नुकसानदायक होती है| चूंकि ये पॉलीथीन उपयोग में काफी सस्ती पड़ती हैं, इसलिए इनका उपयोग धड़ल्ले से किया जाता है| लेकिन इन्हें एक बार उपयोग करने के बाद कूड़े में फेंक दिया जाता है, जो प्रदूषण का कारण बनती हैं. इसके साथ ही साथ कुछ कंपनियां ज्यादा मुनाफा के चक्कर में प्लास्टिक को लचीला और टिकाऊ बनाने के लिए घटिया एडिटिव (योगात्मक पदार्थ) मिलाती हैं, जो प्लास्टिक में रखे खाद्य पदार्थों के संपर्क में आकर घुलने भी लगते हैं. इससे प्रदूषण के साथ-साथ ये पन्नियां तरह-तरह की बीमारियों का भी सबब बनती हैं.
प्लास्टिक कचरे का हो सकता है सदुपयोग
अगर सरकारें चाहें, तो प्लास्टिक कचरे को अनेक क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा सकता है| जर्मनी में प्लास्टिक के कचरे से बिजली का निर्माण भी किया जा रहा है| इसके अलावा पन्नियों को चक्रित करके खाद भी बनाया जा सकता है|. इसलिए यदि सरकारें इस दिश में गम्भीर हों, तो नुकसानदायक प्लास्टिक के कचरे से लाभ भी कमाया जा सकता है.
बायो प्लास्टिक हो सकती है बेहतर विकल्प
प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए बायो प्लास्टिक को बढ़ावा देना चाहिए. बायो प्लास्टिक चीनी, चुकंदर, भुट्टा जैसे जैविक रूप से अपघटित होने वाले पदार्थों के इस्तेमाल से बनाई जाती है.
कैसे कारगर हो सकते हैं प्रतिबंध ?
पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध तभी कारगर हो सकते हैं, जब उनके लिए निम्न कदम उठाए जाएं|
1. प्लास्टिक निर्माण करने वाली फैक्ट्रियों पर कड़ी नजर रखी जाए| जिससे वे मानक के विपरीत प्लास्टिक का निर्माण न कर सकें.
2. दुकानदारों को प्लास्टिक के विकल्प के रूप में जूट एवं कागज के बने थैले सस्ते दामों में और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए जाएं.|
3. जूट एवं कागज से बने थैलों के निर्माण के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं को प्रोत्साहन दिया जाए|
4. प्लास्टिक के प्रयोग को निरूत्साहित करने के लिए स्कूल कॉलेज स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं|
5. मानक के विपरीत पॉलीथीन का उत्पादन/व्यापार करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाए|