इलाहाबाद हाईकोर्ट का पंचायत चुनाव में हस्तक्षेप से इन्कार

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high court allahabadलखनऊ: उत्तर प्रदेश में हो रहे जिला पंचायत चुनाव में फिलहाल हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है लेकिन यह भी कहा है कि प्रक्रिया शुरू होने के बाद याचिका पोषणीय है या नहीं, इस बिंदु पर पूर्ण पीठ का फैसला आना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसके लिए मामला पूर्ण पीठ को संदर्भित कर दिया है और मुख्य न्यायाधीश से अगले हफ्ते पूर्ण पीठ गठित करने का अनुरोध किया है।

जिला एवं क्षेत्र पंचायत चुनावों में कानून एवं नियम विरुद्ध दिए गए आरक्षण एवं संविधान के अनुच्छेद 243(ओ) के उपबंधों की अवहेलना पर याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इनमें से कुछ इस आधार पर खारिज कर दी गई हैं कि चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप का कोर्ट को अधिकार नहीं है। न्यायमूर्ति अरुण टण्डन तथा न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र की खंडपीठ ने न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति के तहत कानून के खिलाफ हो रहे चुनाव में हस्तक्षेप की अधिकारिता मानी है। न्यायिक समीक्षा अधिकार के मुद्दे पर निर्णय के लिए पूर्ण पीठ को प्रश्न संदर्भित कर किया गया।

इससे पहले अपर महाधिवक्ता कमल सिंह यादव ने आपत्ति की थी कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद अनुच्छेद 226 के तहत याचिका पोषणीय नहीं है। हाई कोर्ट को चुनाव में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने इस प्रश्न पर अलग राय व्यक्त करते हुए पूछा कि यदि सीटों का आरक्षण नियमों के विपरीत हुआ है तो पीडि़त को क्या न्यायिक विकल्प प्राप्त है? यदि गलत आरक्षण के खिलाफ न्याय का विकल्प नहीं है तो हाई कोर्ट को यह नहीं कह सकते कि उसे अनुच्छेद 226 में चुनाव में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नंदन व संतोष कुमार सिंह पालीवाल ने बहस की।

कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 243(ओ) के मैंडेट के खिलाफ चुनाव हो रहा हो तो याचिका सुनी जा सकती है या नहीं, इस मुद्दे पर निर्णय आना चाहिए। मुद्दा यह भी है कि यदि चुनाव नियमों के विपरीत हो रहा हो तो हाई कोर्ट प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर सकता है या नहीं। यदि कानून के खिलाफ चुनाव कराने की अनुमति दी गई तो यह जनतांत्रिक व्यवस्था के साथ मजाक होगा। कोर्ट ने अनुग्रह नारायण सिंह, पुन्नू स्वामी, एल चंद्र कुमार केस का हवाला देते हुए कहा है कि चुनाव प्रक्रिया में कोर्ट के हस्तक्षेप पर लगी रोक पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद याचिका पोषणीय है या नहीं, बिंदु पर पूर्ण पीठ का फैसला आना चाहिए। कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिवक्ता टीपी सिंह की इस मांग को नहीं माना कि सरकार को कमियां दूर करने की छूट दी जाए। कोर्ट ने कहा कि सरकार स्वतंत्र है किंतु चुनाव आयोग को यह अधिकार नहीं है क्योंकि याचिका की पोषणीयता पर प्रश्न चिन्ह है। ऐसे में कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया।