मोहन प्रेम बिना नहीं मिलते चाहे कोटिन करो उपाय:देवकी नंदन

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DEVKIफर्रुखाबाद:(मोहम्दाबाद)शांतिदूत देवकीनंदन ठाकुर के सानिध्य में सहसपुर फर्रुखाबाद में आयोजित भव्य श्रीमद भागवत कथा के अंतर्गत आज सभी भक्तों को पांचवें दिन की कथा श्रवण कराई गईध् कृष्ण जन्मोत्सव को बड़े ही आनंदपूर्वक मनाने के बाद आज नटखट नन्दलाल की नटखट बाल लीलाओं का वर्णन पूज्य ठाकुर जी ने बड़े ही सुन्दर ढंग से किया। सर्वप्रथम कथा डॉ अनुपम दुबे एडवोकेट के मुख्य यजमान ने सह.पत्नी भागवत व व्यास पूजन कर महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।

कथा क्रम को आगे बढ़ाते हुए पूज्य ठाकुर जी ने कहा कि पापी व्यक्ति इस कथा को नहीं सुन सकता जिन पर घट.घट में बसने वाले प्रभु की कृपा होती है वही इस कथा को सुन पाते हैं। ठाकुर जी ने कहा हमें किसी भी वस्तु पर अभिमान नहीं करना चाहिए क्योंकि जब गोपियों को अभिमान हुआ की कृष्ण उनके वश में हैं तो भगवान उन्हें छोड़कर चले गए उसी प्रकार जब हमें किसी वस्तु पर अभिमान हो जाता है तो भगवान उसे हम से छीन लेते हैंमहाराज जी ने बताया की हमें अपना रिश्ता दुनिया के नाशवान जीवों से न बनाकर भगवान से बनाना चाहिए क्योंकि भगवान के साथ बनाया हुआ हमारा रिश्ता अमर हो जाता है और जब हम पर संकट आते हैं तो भगवान उस रिश्ते को निभाने के लिए हमारे साथ खड़े हो जाते हैं व हमारी सहायता करते हैं। पूज्य ठाकुर जी ने कहा कि जीव को भगवान से प्यार इस प्रकार करना चाहिए जैसे एक अबोध बालक अपनी माँ से प्यार करता है जब तक हम अबोध बनकर भगवान से प्रेम नहीं करेंगे तब तक हम भगवत प्राप्ति नहीं कर सकते जिस प्रकार एक अबोध बालक का अपनी माँ के प्रति प्रेम निःस्वार्थ होता है उसी तरह हमारा प्रेम भी निःस्वार्थ होना चाहिए। एक सुंदर प्रसंग ष्एक बच्चा अपने पिता के साथ कहीं जा रहा था रास्ते में एक नदी पड़ी बच्चा उसे देखकर घबरा रहा था तो उस के पिता ने उस से कहा घबराओ नहीं मेरा हाथ पकडलो। बच्चा बोला नहीं पिताजी मेरी पकड कमजोर है नदी की तेज लहर के साथ मेरा हाथ छूट जाएगा और में नदी के बहाव के साथ बह जाऊंगा इसलिए आप मेरा हाथ पकड लो क्योंकि आप की पकड मजबूत है और मुझे विश्वास है की चाहे कुछ भी हो जाए आप मेरा हाथ नहीं छोड़ेंगे और मैं नदी पार हो जाऊंगा।ष् जिस प्रकार इस बच्चे ने विश्वास के साथ अपने पिता से कहा की आप मेरा हाथ पकड लो उसी प्रकार हमें भी भगवान की भक्ति में लीन होकर प्रभु से कहना चाहिए की हे भगवन मुझे अपनी शरण में ले लो कहीं में सांसारिक मोह के चक्कर में आकर आपकी भक्ति से दूर न हो जाऊं। हे भगवान कहीं में इस सांसारिक भोगविलास रूपी दलदल में डूब ना जाऊं।

पूज्य ठाकुर जी ने कहा हमें भगवान की भक्ति बिना कोई दिखावा किए करनी चाहिए क्योंकि जब पूतना अपना रूप बदलकर कृष्ण भगवान को मारने आई तो प्रभु ने अपनी आँखें बंद कर ली थी उसी प्रकार जब हम किसी भी प्रकार का दिखावा करके भगवान की वंदना करते हैं तो भगवान हमारी वंदना को स्वीकार नहीं करते। अगर हम सच्ची श्रद्धा और बिना कोई दिखावा किए प्रभु की भक्ति करते हैं तो प्रभु हमें अपनी छ्त्रछाया में लेकर हमारे जीवन के साथ.साथ हमारी मृत्यु को भी सवांर देते हैं।आज के कथा प्रसंग में ठाकुर जी ने प्रभु की नटखट बाल लीलाओं को बड़े ही सुन्दर ढंग सभी भक्तों को श्रवण कराया और आज ही सभी भक्तो ने गिर्राज भगवान के दर्शन किए व गोवर्धन की मानसिक प्ररिक्रमा भी लगाई। अंत में कथा के मुख्य यजमान श्री डॉ अनुपम दुबे एडवोकेट ने सह.पत्नी गिर्राज भगवान का पूजन कर महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।कल की कथा में कृष्ण.रुक्मणी विवाह बडे ही सुन्दर ढंग से मनाया जाएगा अतरूअधिक से अधिक संख्या में पहुँचकर प्रभु के विवाह में सम्मिलित हों।