जेल में माफियाओ का राज, बाहर गुर्गो का नेटवर्क

Uncategorized

central jailफर्रुखाबाद: केन्द्रीय कारागार व जिला कारागार में अपराधियों की मंडी है| उम्र कैद से लेकर फांसी तक के कैदी जेलों में बंद है| उसके बाद भी प्रशासन का रवैया उनके प्रति लचर है| कैदी मजे कर रहे है और बंदी रक्षक सजा काट रहे है| जेल में बंद माफियाओ की मुलाकात से लेकर सामान लाने ले जाने पर कोई रोक नही है| उनसे जब भी वह चाहे मुलाकात करा दी जाती है| इसके लिये हर गेट ,दरवाजे पर खड़ा कर्मचारी को उसके पद के हिसाब से रकम दे दी जाती है| जेल के बाहर का पूरा काम उनके गुर्गे देखते है|

केन्द्रीय कारागार में बंद माफिया सुभाष ठाकुर उर्फ़ (बाबा) व पूर्व विधायक उदयभान सिंह के एसटीएफ द्वारा पकड़े गये गुर्गे 25 वर्षीय प्रभात मिश्रा पुत्र ज्ञानेद्र चन्द्र मिश्रा निवासी जगन्नाथपुर खिखडी भदोई के ऊपर भी जेल का कोई कानून कायदा लागू नही होता था| सूत्र बताते है की वह दोनों माफियाओ के लिये पेशी पर जाने के दौरान उनके रुकने खाने पीने आदि की व्यवस्था पहले ही कर के रखता था| बंदी रक्षको के साथ उसका खास उठना बैठना था|

वैसे तो जेल में केंद्रीय कारागार में कई बार खबरे सलाखों के बाहर आई की जेल में कैदी अबैध हथियार भी रखते है| लेकिन यह बात कोरी अफवाह लगी| लेकिन बीते 2 जून 2014 को हत्या की सजा काट रहे कैदी विपिन कुमार यादव पुत्र दलेल सिंह यादव निवासी भरथना को जरा से विवाद के चलते दबंग कैदी ने गोली मार कर जख्मी कर दिया| विश्वस्त सूत्रों ने इस बात की पुष्ठी की की जेल गोली चलने से ही कैदी विपिन कुमार घायल हुआ है| लेकिन जेल प्रशासन और माफियाओ के खौफ के आगे जख्मी कैदी ने यह कहने से ही इंकार कर दिया की उसके गोली मारी गयी है| बल्कि खौफ के आगे उसने अपना सर झुका कर कह दिया की जरा सा विवाद हो गया है| जिसके बाद पूरे मामले को रफा-दफा कर दिया गया|

जेल में बंद 51 खतरनाक कैदियों के जेल में गेंहू में घुन की तरह निकाल कर रखे गये है| जिनमें से कुछ बड़े माफियाओ की मुलाकत की पर्ची नही लगती है| बिना मुलाकात पर्ची के ही उनसे मिलने वाले मुलाकाती दिन रात जेल के अन्दर बाहर करते है|

अन्दर से ही अपने गुर्गो का नेटवर्क चला रहे माफियाओ का सीधा सम्पर्क अपने जिले के कई सफेद पोश लोगो से भी है| बीते कुछ वर्षो पूर्व ही केन्द्रीय कारगार गेट के सामने एक कालोनी के मकान में जिला पुलिस ने आला अधिकारियो के साथ छापा भी मारा था पुलिस ने मौके से माफियाओ के कई गुर्गो को अबैध हथियारों के साथ दबोच लिया था| जब यह खबर जेल के अन्दर बंद माफियाओ के पास पंहुची तो मौके पर ही पुलिस अधिकारी के पास एक धमकी भरा फोन आया और पुलिस को मौके से ही सभी को छोड़ना पड़ा था| जेल के अन्दर आधुनिक सुबिधायो के साथ रह रहे माफियाओ पर कोई भी हाथ नही डालता है| बल्कि निरीक्षण के दौरान आला अधिकारी भी उस तरफ मुंह नही करते जिस तरफ माफियाओ का कब्जा है| सूत्र तो यह तक बताते है की जेल में अधिकारी अपना तबादला और प्रमोशन के लिये भी माफियाओ की ही मदद लेते है|