पीएम मोदी और केजरीवाल की समानताएं-असमानताएं

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modi-and-kejrniwalनई दिल्ली:नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल। एक देश का पीएम, तो दूसरा दिल्ली का भावी सीएम। दोनों को दिल्ली से ही काम करना है। दोनों की छवि मजबूत नेता की है। दोनों ही जनता से जुड़े मुद्दों को महत्व देते हैं। अरविंद केजरीवाल और नरेंद्र मोदी से जुड़ी ऐसी ही 5 समानताओं और 5 असमानताओं को हम आपके सामने रख रहे हैं।

मोदी और केजरीवाल में 5 समानताएं:

1. छवि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोग तानाशाह कहते हैं। मोदी की छवि है कि वह अपना विरोध नहीं बर्दाश्त करते। केजरीवाल की भी यही छवि है कि वह किसी की नहीं सुनते हैं। जिन लोगों ने आम आदमी पार्टी को छोड़ा, उन्होंने केजरीवाल पर तानाशाह होने का आरोप लगाया।

2. विपक्ष को नकारना: अरविंद केजरीवाल और मोदी विपक्ष को किसी भी लेवल पर क्रेडिट नहीं देते। मोदी ने कभी कबूल नहीं किया कि कांग्रेस ने भी अच्छे काम किए थे। दूसरी तरफ केजरीवाल भी ने कबूल नहीं किया कि मोदी ने कुछ अच्छे काम किए हैं।

3.संवाद शैली: मोदी और केजरीवाल जनता से सीधा संवाद करते हैं। वह अपनी जनसभाओं में पब्लिक को सीधे जोड़ लेते हैं। दोनों नेता भाषण से ज्यादा संवाद को तवज्जो देते हैं।

4. जनता से जुड़े मुद्दों को महत्व: मोदी और केजरीवाल दोनों ही जनता से जुड़े मुद्दों को महत्व देते हैं। एक शिक्षा, स्वावलंबन की बात करता है, तो दूसरा मुफ्त पानी, और कम दाम पर बिजली जैसे वादों के दम पर लोगों से जुड़ता है। दोनों ही भ्रष्टाचार

रहित विकास की बात करते हैं।

5. सोशल मीडिया मोदी और केजरीवाल दोनों नेता अपनी राजनीति में सोशल मीडिया को काफी महत्व देते हैं। मोदी और केजरीवाल समर्थक सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल करते हैं। इन्होंने सोशल मीडिया को प्रचार-प्रसार का माध्यम बनाया है।

मोदी और केजरीवाल में 5 असमानताएं

1. नौकरशाह से सीएम, कार्यकर्ता से पीएम: अरविंद केजरीवाल और नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी असमानता ये है कि नरेंद्र मोदी ने बचपन से ही आरएसएस का हाथ थाम लिया। और वो धीरे-धीरे राजनीति में आए। संगठन के स्तर पर सालों के अनुभव के बाद उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई। वहीं, अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी की तरह ही शिक्षा पूरी की। फिर अच्छे पद पर सरकारी नौकरी की। यहां से उन्होंने एनजीओ शुरू कर भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई शुरू की। इससे पहले वो आरटीआई के लिए भी लंबी लड़ाई लड़ चुके हैं। महज 3 साल पहले राजनीति में आए, और दूसरी बार सीएम बनने जा रहे हैं।

2. सांगठनिक स्तर पर: अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार विरोध आंदोलन के साथ ही बड़ा संगठन खड़ा किया। वो पहले किसी संगठन में नहीं रहे, सिवाय अपने एनजीओ के। वहीं, नरेंद्र मोदी ने शुरू से ही संगठन को महत्व दिया। उन्होंने आरएसएस में सबसे निचले पायदान से शुरुआत की और शीर्ष तक पहुंचे।

3. आम लोगों से करीबी: यहां नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल में बड़ा फर्क है। नरेंद्र मोदी सालों से जनता से जुड़े तो हैं, लेकिन बड़े मंच से ही जनता को संबोधित करना पसंद करते हैं। तो अरविंद केजरीवाल खुद लोगों से मिलते रहते हैं। केजरीवाल की ये छवि उन्हें आम आदमी के और करीब लाती है।

4. रणनीतिक स्तर पर: नरेंद्र मोदी अपने हर एक कदम की सधी रणनीति बनाते हैं। आगे-पीछे होने वाले फायदे नुकसानों को भी ध्यान में रखते हैं। वहीं, अरविंद केजरीवाल शुरूआती रणनीति के साथ ही मैदान में आ जाते हैं, और समय के साथ रणनीतियों में परिवर्तन करते रहते हैं।

5. शासन का तरीका: नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल के काम करने के बुनियादी तरीकों में भी फर्क है। नरेंद्र मोदी नौकरशाहों पर निर्भर करते हैं। वहीं, अरविंद केजरीवाल नौकरशाही के हर दांव पेंच जानते हैं, इसीलिए वो कोई भी काम सीधे अपने ही हाथ में रखते हैं। यहीं नहीं, उनके साथियों में अधिकतर अपने-अपने क्षेत्रों में महारत हासिल रखते हैं।