फर्रुखाबाद: वैसे तो प्रधानो से जीतना इतना आसान नहीं फिर भी मजबूत इरादे कुछ भी करवा सकते है| जिलाधिकारी इन के एस चौहान ने आगाह किया है कि ग्राम पंचायतो में विकास अधूरे पड़े होने या फिर आवंटित धन का उपभोग प्रमाण पत्र न देने वाले प्रधानो को अगले चुनाव में भाग लेने से अयोग्य कर दिया जायेगा| जिलाधिकारी ने जनपद के विकास कार्यो की समीक्षा करते हुए ये निर्देश दिए|
वैसे वर्ष 2004 से 2010 तक मिड डे मील के प्रमाणित 3.5 करोड़ का खाद्यान हड़प कर जाने वाले 142 प्रधानो ने दुबारा चुनाव भी लड़े और कुछ एक जीत कर अगले पांच साल भी काट ले गए| तब भी तत्कालीन जिलाधिकारी ने चुनाव से पहले हड़पा हुआ धन न लौटाने पर डीपीआरओ के माध्यम से नोटिस जारी करवाये थे जो जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की और से जारी किये गए थे| मगर न धन की वसूली हुई और न ही प्रधानो को मिलने वाली एनओसी रुक पायी| नतीजतन घोटालेबाज प्रधान खूब चुनाव लड़े और नोटिस डीपीआरओ की फाइलों में दफ़न हो गए| वैसे उस वर्ष एनओसी जारी करने के रेट जरूर 5000 रुपये तक पहुंच गए थे| पता नहीं तत्कालीन डीएम और मुख्य विकास अधिकारी कितना ले गए होंगे| कुछ नेताओ ने भी दबाब बनाकर जारी करवा दिए थे| आखिर जनता के धन की लूट से क्या नेता को फरक और क्या अफसरों को?