फर्रुखाबाद: किसी की मौत अस्पताल में होती है, तो परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। बस वेबसाइट खोलिए और ऑनलाइन देख लीजिए के मृत्यु प्रमाण पत्र बना कि नहीं। इसी तरह बच्चे का जन्म होते ही उसका डाटा वेबसाइट में अपलोड हो जाएगा। इससे जन्म प्रमाण पत्र के लिए भी अब भटकना नहीं पड़ेगा।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत सरकार ने व्यवस्था की है कि यदि किसी व्यक्ति की जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत होती है, तो उसका फोटो खींचकर पूरा डाटा वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। ताकि जब भी उनके परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र की जरूरत हो, तो ऑनलाइन मृत्यु प्रमाण पत्र मुहैया करा दिया जाए। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भर्ती होने वाले मरीजों की मौत का डाटा भी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। यही नहीं किसी हादसे में यदि किसी की मौत हो जाती है और उसका पोस्टमार्टम होता है, तो ये अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वो उस शख्स का डाटा भी अपलोड करे।
जन्म प्रमाण पत्र की जिम्मेदारी आशा पर
गांव और शहर में जन्म लेने वाले बच्चों का लेखा-जोखा गांव की आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्री को रखना होगा। वह प्रत्येक सप्ताह संबंधित स्वास्थ्य केंद्र पर जन्म लेने वाले बच्चों की लिखित जानकारी भेजेंगी। केंद्र जिला मुख्यालय पर डाटा भेज देगा और मुख्यालय पर बच्चे का नाम, पिता का नाम, माता का नाम, जन्म दिनांक व समय वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा।
बस लेने के लिए आना होगा कार्यालय
कोई भी व्यक्ति अपने परिजन का डाटा वेबसाइट पर देख सकता है। परिजन का नाम वेबसाइट पर डालकर उसे ये पता लग जाएगा कि प्रमाण पत्र बना है या नहीं। उसे डाउनलोड भी किया जा सकता है। लेकिन उसे सीएमओ से हस्ताक्षरित प्रति सीएमओ कार्यालय में ही मिलेगी। इसके लिए उसे एक बार सीएमओ कार्यालय आना होगा।
इनकी व्यवस्था पुरानी रहेगी
जिन व्यक्तियों की मौत घर पर होगी या फिर जिन बच्चों का प्रसव घर पर होगा और परिजन आशा को इसकी जानकारी नहीं देंगे, उनका प्रमाण पत्र पुरानी व्यवस्था के तहत ही मिलेगा। गांव में सेक्रेटरी प्रमाण पत्र जारी करता है और शहरी क्षेत्र में नगर पालिका परिषद।
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