बीएसए का फरमान, तीन महीनों से गैरहाजिर बच्चों के काटे जाएँ नाम

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bsaफर्रुखाबाद: 6 से 14 वर्ष आयु के बच्चों को स्कूल लाने के लिए देश और प्रदेश की सरकारे जहाँ स्कूल चलो अभियान पर पानी की तरह पैसा वहा रही हैं| वही जनपद के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने स्कूलों से तीन महीने से गैरहाजिर चल रहे बच्चों के नाम काटने का फरमान जारी कर दिया है| यह फरमान ऐसे समय पर जारी किया गया है जब स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या के आधार पर शासन ने यूनिफार्म का बजट जिले के लिए आवंटित कर दिया है| साथ ही ऐसे बच्चों के छात्रवृत्ति के लिए भी नामांकन हो चुके हैं|

दर असल बेसिक शिक्षा अधिकारी योगराज सिंह ने हाल के समय में जिले के कई ब्लॉकों में स्कूलों का सघन निरीक्षण किया था| इस दौरान कई स्कूलों में नामांकित बच्चों के सापेक्ष उपस्थित बच्चों की संख्या बहुत कम थी| जिनमे कई बच्चे नामांकन समय से ही स्कूल में उपस्थित नहीं हुए थे| कमालगंज ब्लॉक में एक वाकया दोहरे नामांकन का भी सामने आया था| यही नहीं उपस्थिति रजिस्टर और मिड डे मील रजिस्टर की उपस्थिति में भी काफी अंतर देखने को मिला था| जिसके बाद बीएसए योगराज सिंह ने व्यवस्था में सुधार और औसत उपस्थिति को दुरुस्त करवाने के लिए शिक्षकों पर कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा| उन्होंने दोषी शिक्षकों को तो चेतावनी जारी कर छोड़ दिया और शिक्षा सत्र के प्रारंभ से स्कूल नहीं आने वाले बच्चों के नाम काटने का फरमान जारी कर दिया| वही यदि फर्जी नामांकन करने और मिड डे मील में खेल करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की जाती तो परिषदीय स्कूलों की स्तिथि में गुणात्मक परिवर्तन संभव होता|

परिषदीय स्कूलों की शैक्षिक स्तिथि आज के समय में किसी से छिपी नहीं है| यही वजह है कि बहुत से अभिभावक बच्चों के नामांकन सिर्फ छात्रवृत्ति और यूनिफार्म के लिए स्कूलों में करवा देते हैं और बच्चों को स्कूल भेजने के स्थान पर घर के अन्य काम करवाते हैं| अमूमन गांव देहात के लोगों को यह कहते सूना जा सकता है कि स्कूलों में पढाई तो होती नहीं है तो बच्चा स्कूल में जाकर करगा भी क्या| यही वजह है की परिषदीय स्कूलों में छात्रों की औसत उपस्थिति कम रहती है| बीएसए साहब यदि बच्चों के नाम कटवाने के स्थान पर शिक्षकों पर कड़ाई करके स्कूलों में पढ़ाई का माहौल बनाया जाता तो निश्चित ही स्कूलों में औसत उपस्थिति ठीक ठाक हो जाती|