लखनऊ। यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री मो0 आजम खां को कैबिनेट बनाए जाने पर सवाल उठ रहे हैं। लखनऊ के दो शिया इमामों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि आजम खां ने राज्य सरकार के लाभ के पद पर रहते हुए विधायकी का चुनाव जीता था, जो कि संवैधानिक रूप से गलत है। अदालत को चाहिए कि वह आजम खां की बतौर विधायक मान्यता को निरस्त करे। जिसे आधार बनाकर हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के वकील को 10 सितंबर 2014 को सरकार के पक्ष के साथ पेश होने का निर्देश दिया है।
आजम खां के खिलाफ याचिका दाखिलकर्ता दोनों व्यक्ति शिया धर्मगुरू कल्वे जव्वाद के समर्थक और मस्जिदों में इमाम है। याचिका दाखिल कर्ताओं के वकील अशोक पांडे ने पर्दाफाश को बताया कि दोनों ही व्यक्ति कैबिनेट मंत्री द्वारा धर्मगुरू के खिलाफ प्रयोग किए गए अपशब्दों से आहत हैं। इसके साथ ही इस याचिका में कैबिनेट मंत्री आजम खां की जौहर यूनीवर्सिटी का जिक्र करते हुए कहा गया है कि वर्ष 2006 में आजम खां जौहर विश्वविद्यालय के चांसलर बने थे। कानून चांसलर का पद राज्य सरकार के लाभ का है। ऐसे में आजम खां का चांसलर रहते हुए विधायक चुना जाना भारतीय संविधान की धारा 191 का उल्लंघन करना है|
दरअसल, धारा 191 के तहत कोई भी व्यक्ति जो राज्य या केन्द्र सरकार के किसी लाभ के पद पर नियुक्त है, उसके विधानसभा या लोकसभा का सदस्य नहीं चुना जाता है, यदि ऐसा होता है तो उसका चुनाव वैध नहीं होगा।
देखा जाए तो अब आजम खां का ड्रीम प्रोजेक्ट उनकी कुर्सी पर भी भारी पड़ता नजर आ रहा है। सवाल ये उठता है कि अब आजम खां क्या बचाएंगें चासंलर की कुर्सी या मंत्री पद, खैर इस समय इससे भी बड़ा सवाल ये है कि आखिर यूपी सरकार अपने पक्ष में क्या तर्क रखेगी। इन सब सवालों के जवाब के लिए हमें 10 सितंबर तक का इंतजार करना पड़ेगा।
फिलहाल हम इतना ही कहेंगे कि मौलाना कल्वे जव्वाद के साथ शुरू हुई कैबिनेट मंत्री आजम खां के बीच की लड़ाई बेहद गंभीर रूप ले चुकी है, क्योंकि अब तक जिस संविधान का जिक्र कर आजम वक्फ बोर्ड के चुनाव करवाकर मौलाना को अपनी ताकत दिखाना चाहते थे, लेकिन वैसा ही संविधान और कानून अब आजम के विधायक और मंत्री होने पर सवाल खड़े कर रहा है।
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सौजन्य से- पर्दाफाश