राधा अष्टमी: छोटी सी किशोरी डोले मेरे अंगना ……….

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RAHDA SHYAM SHAKTI MNDAIRफर्रुखाबाद: राधा अष्टमी के दिन नगर के सभी मन्दिर राधा मय हो गये | सभी राधा-गोपाल मन्दिरों में राधा का भव्य श्रंगार किया गया| पहले पंचामृत से स्नान उसके बाद राधा की भव्य आरती ने श्रधालुओ का मन मोह लिया| भक्ति गीतों से नगर भक्ति रस में सरा बोर दिखा|
SURENDAR SFFADशहर के राधा-माधव मन्दिर गाँधी कुंचा, गोपी-नाथ मन्दिर खतराना, ठाकुर द्वारा घूमना बाजार, लक्ष्मी-नारायण मन्दिर खतराना सहित सभी श्याम व राधा के मन्दिरों में सुबह्से ही धूम थी| राधा का भव्य रूप देखने के लिए श्रद्धालु उमड़े| लोहाई रोड स्थित श्री राधा श्याम शक्ति मंदिर में भी सुबह तकरीवन 4 बजकर 30 मिनट पर मंगल दर्शन का आयोजन किया गया| इसके बाद पंचामृत से श्री राधा को स्नान कराया गया और उनकी पूजा अर्चना की गयी| पूजा के पश्चात भोग, आरती व प्रसाद का कार्यक्रम हुआ| गीत संगीत के बीच श्रोताओ ने मंगल गीत में अपने को साझा किया| इस दौरान मन्दिर में सुरेन्द्र सफ्फड, कमल सिंगतिया, रामचंद्र जालान, जितेन्द्र अग्रवाल, विनय अग्रवाल, प्रवीन सफ्फाड आदि लोगो ने मन्दिर में पूर्ण सहयोग किया|

जाने राधा रानी के बारे में कुछ खास ……..
यह तो हम सभी जानते हैं कि श्री कृष्‍ण की कई पत्नियां थीं, लेकिन उनमें से राधा जी को ही उनकी सबसे खास और दिल के पास -1radhaashtamiना गया था। कृष्‍ण का नाम बिना राधा के बिल्‍कुल अधूरा है। राधा अष्‍टमी वह पावन दिन है जब राधा जी का जन्‍म हुआ था। यह दिन भाद्र मास में शुक्‍ल पक्ष की अष्‍टमी को आता है। राधा रानी का जन्‍म स्‍थल रावल गांव है और राधा रानी की लीला स्‍थली बरसाना है। राधा का जन्‍म या फिर ये कहें कि राधा जी को कमल के पत्‍ते पर सोता हुआ पाया गया था। महाराज वृषभानु और उनकी पत्‍नी कीर्ति ने राधा को वहां से उठा कर अपनी बेटी बनाया। कहते हैं कि राधा जी ने तब तक अपनी आंखें नहीं खोली जब तक कि भगवान श्री कृष्‍ण का जन्‍म नहीं हो गया। राधा अष्‍टमी के दिन भक्‍त पूरा दिन व्रत रखते हैं। मंदिरों, आश्रमों में धूम मचाने लाखों भक्त जुटते हैं। राधा जी की मूर्ती को दूध से साफ कर के फूलों और गहनों से सजाया जाता है। वैसे तो हम राधा-कृष्‍ण के रासलीला के बारे में काफी कुछ जानते हैं लेकिन बहुत से लोगों को राधा अष्‍टमी के दिन की कुछ खास जानकारी नहीं है।
राधा जी के अनमोल प्‍यार की कहानी है राधा अष्‍टमी …………
राधा का जन्‍म महाराज वृषभानु और उनकी पत्‍नी कीर्ति ने अपने पिछले जन्‍म में भगवान ब्रह्मा से वरदान मांगा था कि अगले जन्‍म में उन्‍हें माता लक्ष्‍मी एक बेटी के रूप में दें। तब भगवान ब्रह्मा ने उन्‍हें यह वरदान दिया। फिर एक दिन राजा वृषभानु पैदल ही अपने घर जा रहे थे, तभी रास्‍ते में कमल के एक बडे़ से पत्‍ते पर उन्‍हें छोटी सी बच्‍ची मिली। उन्‍होनें उस बच्‍ची को गोद लिया और सीधा घर पहुंच गए। इस तरह से राधा जी उनके घर पर आईं।