पहले नेताजी के गायब होने की गुत्थी सुलझाए सरकार

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netaji-subhash-chandra-bose_10_08_2014कोलकाता:स्वतंत्रता संग्राम के शीर्ष नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस को “भारत रत्न” दिए जाने की अटकलों के बीच उनके परिजनों ने इसे स्वीकार करने से साफ इन्कार कर दिया है। उनका कहना है कि सबसे पहले नेताजी के गायब होने की गुत्थी सुलझाई जानी चाहिए।

नेताजी के परपोते चंद्र कुमार बोस ने कहा, “नेताजी 1945 से लापता हैं। अगर सरकार मरणोपरांत बताकर उन्हें भारत रत्न दे रही है तो उसे बताना होगा कि उनकी मृत्यु कब और कहां हुई? उनकी मौत का प्रमाण क्या और कहां है?” बोस के अनुसार “नेताजी को सम्मानित करने का सर्वोत्तम तरीका यह है कि उनसे संबंधित गोपनीय सरकारी दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाए। इससे उनके गायब होने के रहस्य का खुलासा हो सकता है।”

नेताजी के वंशज ने आगे कहा-“मैंने अपने खानदान के लगभग 60 लोगों से इस बारे में बातचीत की है। कोई भी सदस्य नेताजी की तरफ से ये सम्मान लेने को तैयार नहीं है। हम सभी का मानना है कि भारत रत्न उनके लिए उपयुक्त सम्मान नहीं है। हममें से कोई भी सम्मान ग्रहण करने नहीं जाएगा और इसे स्वीकार भी नहीं करेगा।” स्वतंत्रता संग्राम के नायक के एक अन्य वंशज और तृणमूल सांसद सुगत बोस ने भी नेताजी को भारत रत्न देने का विरोध किया है।

उनका कहना है कि नेताजी को पक्षपाती राजनीति के दायरे से अलग रखा जाए। 43 लोगों के बाद उन्हें यह सम्मान देने का तुक नहीं है। नेताजी का कद भारत रत्न से ज्यादा बड़ा है।

नेताजी के परिजनों एवं ओपन प्लेटफार्म फार नेताजी नामक संगठन के सदस्यों ने हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर नेताजी के रहस्यमय तरीके से गायब होने के मामले की जांच कराने का आग्रह किया था। इसके लिए उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच टीम गठित करने की मांग की थी। गौरतलब है कि इस मामले की जांच करने वाले मुखर्जी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात को मानने से इन्कार कर दिया था कि नेताजी की मौत 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में विमान हादसे में हुई थी।

“नेताजी और गांधी जी का कद भारत रत्न से कहीं ज्यादा बड़ा है। राजीव गांधी समेत 43 लोगों के बाद उन्हें भारत रत्न कैसे दिया जा सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी उपयुक्त पात्र हैं। नेताजी का नाम आगे न बढ़ाया जाए।” -सुगत बोस, नेताजी के वंशज व सांसद