फर्रुखाबाद: 59 साल बाद 9 में से 7 ग्रह रक्षाबंधन के दिन की कुंडली के केंद्र में होंगे। इस दौरान सिर्फ विपरीत फल देने वाले राहु-केतु ही केंद्र में नहीं होंगे। आयुष्मान और सौभाग्य योग ने पर्व को और भी खास बना दिया है। ज्योतिषियों का मानना है कि ग्रहों की सकारात्मक चाल के चलते पर्व अत्यंत मंगलकारी और शुभ फल प्रदान करने वाला बन गया है।
ज्योतिर्विद् पं. धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार 10 अगस्त रक्षाबंधन के दिन कर्क राशि में सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और तुला में मंगल व शनि और मकर में चंद्रमा रहेगा। इनमें गुरु और शनि उच्च राशि में होंगे। गुरु का भी उदय हो चुका है। पूरे दिन श्रवण नक्षत्र रहेगा। इससे पहले केंद्र योग 1955 में बना था। रक्षाबंधन के दिन की कुंडली में ये सात ग्रह केंद्र में हैं और सकारात्मक फल प्रदान करेंगे।
माना जाता है कि आयुष्मान योग भाई को लंबी उम्र और बहन को सौभाग्य देने वाला है। पर्व पर दोपहर 1.27 बजे तक भद्रा रहेगी। रक्षाबंधन के लिए दोपहर 1.27 से रात 10.39 बजे तक कुल 9 घंटे 2 मिनट का समय मिलेगा। पं. जयदेव भट्ट के अनुसार 10 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन सूर्योदय (सुबह 6.05 बजे) से रात 11.38 बजे तक पूर्णिमा और सूर्योदय से रात 11.53 बजे तक श्रवण नक्षत्र रहेगा।
बदली जाएगी जेनऊ
पं. ओम वशिष्ठ के अनुसार श्रावण पूर्णिमा पर श्रावणी पर्व भी मनाया जाएगा। तीर्थ, मंदिरों, धर्मशालाओं आदि जगह विद्वानों के सानिध्य में विधि विधान के साथ नया यज्ञोपवीत (जनेऊ) धारण किया जाएगा। वर्षभर में जाने-अनजाने किए पापों से मुक्ति के लिए अनुष्ठान होगा।