अधिकांश ग्रामों में नहीं हुईं मनरेगा की खुली बैठकें

Uncategorized

फर्रुखाबाद: मनरेगा योजना को लागू हुए लगभग 7 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन अभी तक बेरोजगार ग्रामीणों की स्थिति भले ही न सुधरी हो लेकिन ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत अधिकारियों के लिए मनरेगा योजना दुधारू गाय साबित हो रही है। बीते सात सालों से अभी तक मनरेगा योजना का सही क्रियान्वयन नहीं हो सका है। जिससे गरीबों को इसका अब तक सही लाभ मिलने की बजाय ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत अधिकारियों के अलावा खण्ड विकास अधिकारी अपना अपना पेट भरने में जुटे हुए हैं। जिसके लिए उन्हें चाहे मनरेगा के लिए फर्जी मस्टर रोल बनाने पड़ें, फर्जी मिट्टी डलवानी पड़े, फर्जी मनरेगा कार्ड बनवाने पड़ें इतना ही नहीं उन्हें चाहे जेल में बंद या मर चुके फर्जी मजदूर भी दर्शाने पड़े तो यह कोई बड़ी बात नहीं है। बस उनका पेट भरना चाहिए, गरीबों को काम मिला या न मिले, गरीबों के चूल्हे जलें या न जलें, गरीबों के बच्चों को शिक्षा मिले या न मिले इससे उन्हें कोई लेना देना नहीं है। इसी भ्रष्टाचार को रोकने के लिए शासन स्तर से न्याय पंचायत वार अधिकारियों की ड्यूटी लगाकर खुलीं बैठकें प्रत्येक ग्राम पंचायत में होनी थी। लेकिन अधिकांश ग्रामों में खुली बैठकें नहीं हो सकीं।

शासन स्तर से मनरेगा के तहत 2012-13 के लिए योजना बनाने व भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए जनपद के सीडीओ ईश्वरीय प्रसाद पाण्डेय ने 87 जिला स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी लगाकर दो अक्टूबर को प्रत्येक ग्राम पंचायत में खुली बैठकें करवाने के निर्देश दिये गये थे। लेकिन केन्द्र सरकार की मंशा पर पानी फेरते हुए ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत अधिकारियों ने औपचारिकतायें पूरी कर हमेशा की तरह कागजों में ही खुली बैठकों को निबटा दिया। वहीं जिला स्तर के अधिकारियों ने भी खुली बैठकों के नाम पर मात्र रजिस्टरों पर हस्ताक्षर करना ही बहुत समझा और उन्होंने अपने अपने ड्यूटी वाले ग्रामों में जाकर रजिस्टर पर हस्ताक्षर कर औपचारिकतायें पूरी कर दीं। राजेपुर विकासखण्ड के ग्राम तुर्कहटा में खुली बैठक तो दूर सदस्यों को सूचना तक नहीं दी गयी। इस बारे में तुर्कहटा निवासी ग्राम पंचायत सदस्य नीरज, बिटोली, लल्लू सिंह, विजय बहादुर, सुशील ने बताया कि उनके ग्राम प्रधान या ग्राम पंचायत अधिकारी ने बैठक की सूचना तक नहीं दी। वहीं खरगपुर गांव के सदस्य रामनोहर, आलोक, शैलेन्द्र, ज्ञानेन्द्र शुक्ला, मुकेश, महेश अग्निहोत्री, रामचन्द्र दीक्षित का भी यही रोना रहा कि ग्राम प्रधान ने उन्हें कोई सूचना नहीं दी।

इसी के तहत कमालगंज क्षेत्र में जेएनआई रिपोर्टर द्वारा जब ग्रामों का भ्रमण किया गया तो 20 ग्रामों के भ्रमण में मात्र एक गांव में खण्ड विकास अधिकारी बैठक करते मिले। जेएनआई रिपोर्टर ने ग्राम नसरतपुर, रानूखेड़ा, करीमगंज, गोपालपुर, उगरापुर, सदरियापुर, फतेहउल्लापुर, कुंदनगनेशपुर, डूंगरपुर, महोई, रठौरा नगला नीम, उसमान गंज, अहमदपुर देवरिया, जहांगीरपुर, महरूपुर खार, कमालपुर, नगला खेम रैंगाई, गौसपुर और बीबीपुर, नगला दाउद का दौरा किया। दौरे के दौरान किसी भी गांव में कोई भी अधिकारी या ग्राम पंधान या ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा खुली बैठक आयोजित नहीं की गयी। इस बारे में जब इन ग्रामों के सदस्यों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी तक नहीं दी गयी।

20 ग्रामों के दौरे में मात्र खण्ड विकास अधिकारी लाला राम गुप्ता ग्राम हिसामपुर के मजरा झिझुकी में बैठक करते मिले। बाकी किसी भी गांव में कोई अधिकारी नहीं मिला। वहीं कुछ अधिकारियों ने रजिस्टर पर हस्ताक्षर करके ही औपचारिकताएं पूरी कीं। इसी के तहत ग्राम भटपुरा में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी रजिस्टर पर हस्ताक्षर करके चले आये लेकिन मीटिंग नहीं की गयी।