फर्रुखाबाद: ये सरकारी ढर्रा है, शायद ऐसे ही चलेगा। परिषदीय, सहायता प्राप्त निजी स्कूलों व मदरसों में 6 से 14 साल तक के बच्चों को नि:शुल्क दो ड्रेस पढ़ाई का सत्र शुरू होते ही मिलनी थी, लेकिन अभी तक नहीं दी गई। बच्चों ने सोचा था कि स्वतंत्रता दिवस पर नई ड्रेस पहनकर झंडा फहराएंगे और नए इरादे संग राष्ट्र को बोलेंगे जयहिंद, लेकिन यह सब अब उन्हें पुरानी ड्रेस पहनकर ही करना होगा।
रंग बदलने के चक्कर में पिछले सत्र में परिषदीय स्कूलों में नि:शुल्क यूनीफार्म देरी से बंटी तो तय हुआ था कि इस सत्र में बच्चों को समय पर यूनीफार्म उपलब्ध करा दी जाएगी। लेकिन अभी यूनीफार्म अनुदान ही जारी नहीं हुआ। नि:शुल्क यूनीफार्म देने की व्यवस्था 2011-12 सत्र से शुरू हुई। 2012-13 सत्र में अगस्त में यूनीफार्म वितरण की प्रक्रिया शुरू हो गई थी परंतु बीते सत्र में सपा सरकार ने यूनीफार्म से नीला रंग हटाकर खाकी कर दिया। रंग बदलने को लेकर देरी हुई और यूनीफार्म पांच सितंबर के बाद वितरित हो पाई। उसी समय कहा गया था कि अगले सत्र में देरी नहीं होगी पर ऐसा हुआ नहीं। सर्व शिक्षा अभियान में शिक्षा मित्रों व अनुदेशकों के मानदेय की ग्रांट तो आ गई परंतु शेष मदों की ग्रांट नहीं आई। ऐसे में सितंबर से पहले यूनीफार्म वितरण मुश्किल है।
वितरण प्रक्रिया
ग्रांट आने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय छात्र संख्या वार स्कूलों को धन भेजता है। प्रधानाध्यापक व स्कूल प्रबंध समिति टेंडर से तयशुदा रंग व स्तर का कपड़ा मंगाते हैं। टेलर को प्रत्येक बच्चे की नाप दिलवाते हैं। यूनीफार्म सिलकर स्कूल में आने पर जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में उसका वितरण किया जाता है। इस प्रक्रिया में एक से सवा माह लगते हैं।
रंग बदलने की मांग
बीते सत्र में बालकों की पैंट-शर्ट, बालिकाओं की स्कर्ट-शर्ट का रंग खाकी तय किया गया था जिसे बच्चों व उनके अभिभावकों ने पसंद नहीं किया। इस रंग की यूनीफार्म पर टिप्पणियां आईं कि बच्चों को होमगार्ड बना दिया है। इसलिए रंग बदले जाने की मांग उठी है। संभव है कि रंग में बदलाव हो।
यूनीफार्म एक नजर में
बच्चों को मिलने हैं : दो सेट
दोनों सेट की कीमत : 400 रु.
शर्ते- मंत्रीजी की मंशा है कि बच्चो को ब्रांडेड ड्रेस बाटी जाए|
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