जिला जेल के दलित बंदी की ह्त्या का आरोप

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मरने वाले बंदी भेजे जाते हैं अस्पताल में

फर्रुखाबाद: जिला कारागार के बंदी दलित सुभाष कठेरिया की ह्त्या किये जाने का आरोप लगाया गया है| जब आवास विकास चौकी इंचार्ज इन्द्रपाल सिंह ने पंचनामा भरने के लिए शव का निरीक्षण किया तो परिजन सुभाष के शरीर पर घाव देखकर भड़क गए| वह बुरी तरह बिलखते रहे|

सुभाष के भाई विक्की, जीजा बबलू, मौसी आदि रिश्तेदारों ने हंगामा मचाते हुए आरोप लगाया कि सुभाष की ह्त्या की गयी है| उन्होंने एक दूसरे को सुभाष के सीने के घाव दिखाते हुए कहा कि देखो ये सरिया भोंकी गयी है|

पीड़ित महिला ने बताया कि दिन के १ बजे एक सिपाही घर पर यह जानकारी देने गया था कि सुभाष की हालत खराब है उसका लोहिया अस्पताल में इलाज चल रहा है जाकर देख आओ| यह पहली बार हुआ कि जेल के बंदी की मौत के दौरान कोई बंदी रक्षक वहां मौजूद नहीं रहा|

सूवे की जेलों की हालत बेहद खराब है, खासकर बीमार बंदियों की सेहत व उनके उपचार के बारे में| ज़िंदा रहते बीमार बंदियों की कोई फ़रियाद नहीं सुनता, शायद वह मरने के बाद ईश्वर को ही अपनी व्यथा बताते होंगे|

जिला कारागार फतेहगढ़ बीमार बंदियों की मौत का कारण बन रहा है| जहां के आये दिन बीमार बंदियों की मौत हो रही है| जब बीमार बंदी के पैर कव्र में लटकने लगते हैं तब उनसे छुटकारा पाने के लिए उन्हें इलाज के लिए अस्पताल भेजा जाता है| यही हाल जिला जेल के बंदी २८ वर्षीय दलित सुभाष कठेरिया के साथ किया गया|

जेल के बंदी रक्षक रामकृपाल सिंह, आलोक सिंह व विकास कटियार ने सुभाष को ९:५० बजे लोहिया अस्पताल पहुंचाया| डॉ योगेन्द्र सिंह ने उसका उपचार किया, १०:१७ बजे सुभाष ने दम तोड़ दिया| फार्मासिस्ट एसके मिश्रा ने बताया कि सुभाष को पुराने बुखार व शरीर की कमजोरी की शिकायत थी, वह इमरजेंसी बार्ड में ही मर गया|

बताया गया कि अविवाहित सुभाष रामलीला गड्डा का रहने वाला है, उसके मरने की सूचना पर रिश्तेदार व परिवार की महिलायें पहुँची| जिन्होंने बताया कि सुभाष ट्रक ड्राईवर था, वह स्मैक पीने का आदी था| आईटीआई पुलिस चौकी ने उसे रक्षाबंधन पर बंद कर दिया था|

पोस्टमार्टम को लेकर खाकी में विवाद

फर्रुखाबाद: बंदी सुभाष का पोस्टमार्टम कराये जाने को लेकर पीएम हाउस पर चौकी प्रभारी इन्द्रपाल सिंह व बंदी रक्षक आलोक सिंह की कहासुनी हुयी| दोनों ने एक-दूसरे पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया| दरोगा पीएम की कार्रवाई करने के लिए जब पुलिस लाइन गए तो उन्हें यह कहकर चलता कर दिया गया कि जेल के बंदी रक्षक को भेजो उसकी जब आमद होगी तभी कार्रवाई पूरी की जायेगी|

इसी विवाद के कारण सायं ५:३० बजे तक शव का पोस्टमार्टम शुरू नहीं हो सका| दरअसल लोहिया अस्पताल से सुभाष के मरने का मीमो विलम्ब से कोतवाली भेजा गया और बाद में पंचनामा भरने में भी लापरवाही की गयी|