फर्रुखाबाद: देश में कानून की कोई कमी नहीं है मगर इसे पालन कराने और करने में लोगो को शर्म महसूस होती है| कभी कभी कानून तोड़ कर खुद को रुतबेदार और बड़ा महसूस कराने से भी लोग नहीं चूकते| वैसे कबीरदास कह गए है- ‘कर्म करे जो सतगुणी नर वो बड़ा होये…” मगर सरकारी अफसरो को को बड़ा होने के लिए नीली बत्ती का मोह नहीं छूट रहा है| लगते है कि एआरटीओ ने भी कमजोरो की बत्ती उतारवा कर अभियान की रिपोर्ट भेज नौकरी कर ली है|
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एआरटीओ के पिछले दिनों सख्ती करने के बाद कई की उन्होंने खुद उतरवा दी तो कई नीली लाल बत्तिया फजीहत होने के डर से खुद उतर गई| मगर डीऍफ़ओ और दुग्ध डेरी के निदेशक का नीली बत्ती प्रेम नहीं छूटा है| डीऍफ़ओ को सरकारी गाड़ी पर तो नीली बत्ती लगाने का अधिकार है मगर निजी गाडी पर नहीं| मंगलवार अपनी निजी कार पर नीली बत्ती लगाकर डीऍफ़ओ कलेक्ट्रेट में पहुचे थे| वहाँ उस गाडी के चालक सर्वेश कुमार ने बताया कि ये साहब की निजी कार है विभाग में अटैच भी नहीं है| उसने बताया कि नीली बत्ती तो हमेशा ही लगी रहती है|
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वहीँ कलेक्ट्रेट में ही पराग दुग्ध डेरी के निदेशक नेपाल सिंह भी अपनी सरकारी कार पर अवैध रूप से न केवल नीली बत्ती लगाकर पहुचे बल्कि सरकारी कार के आगे अपने पदनाम की प्लेट भी लगा रखी थी| जबकि कई साल पहले गाडियो पर पदनाम की प्लेट लगाना अवैध घोषित कर दिया था| उधर एआरटीओ उदयवीर सिंह ने बताया कि डीऍफ़ओ की निजी कार और निदेशक दुग्ध डेरी दोनों की कार पर लगी नीली बत्ती अवैध है| वे एक बार फिर से अभियान चलाकर नीली बत्ती उतरवाएंगे|