खत्म हुई खींचतान, भाजपा के साथ आई लोजपा

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BJP LJPनई दिल्ली: बारह साल बाद लोजपा फिर राजग में वापस लौट आई है। सीटों पर सहमति के बाद देर रात भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के आवास पर राम विलास पासवान की मौजूदगी में इसकी औपचारिक घोषणा हो जाएगी। पासवान की पार्टी हाजीपुर, समस्तीपुर, जमुई, मुंगेर, खगडि़या, वैशाली और नालंदा से अपने उम्मीदवार उतारेगी। बृहस्पतिवार सुबह से दोनों दलों के नेताओं के बीच हुई कई बैठकों में सीटों को लेकर चल रही खींचतान सुलझ गई। पहले पासवान के आवास पर भाजपा के शाहनवाज हुसैन, रविशंकर प्रसाद और राजीव प्रताप रूड़ी ने बैठक की। बाद में बिहार के भाजपा प्रभारी धर्मेद्र प्रधान के आवास पर लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान और बिहार अध्यक्ष पशुपति पारस पहुंचे।

दोनों दलों के बीच दो सीटों को लेकर खींचतान चल रही थी। लोजपा आरा व अररिया चाहती थी, लेकिन भाजपा ने उन्हें वैशाली और नीतीश कुमार का संसदीय क्षेत्र नालंदा देकर सहमत कर लिया। इस बीच, राजनाथ सिंह और नरेंद्र मोदी के बीच भी चर्चा हुई। राजनाथ ने संघ नेतृत्व से भी लोजपा की वापसी पर सहमति ले ली। अब सिर्फ औपचारिकता बाकी है। बताते हैं कि भाजपा चुनाव समिति की बैठक के बाद पासवान राजनाथ के आवास पर जाएंगे। वहीं, गठबंधन का एलान हो जाएगा। इससे पहले बुधवार को पासवान ने अपने पुराने साथी राजद और कांग्रेस को बाय-बाय कह दिया था। उससे पहले चिराग ने नरेंद्र मोदी को कोर्ट से मिली क्लीन चिट का हवाला देते हुए स्पष्ट कर दिया था कि उनके लिए अब गुजरात दंगे का मुद्दा खत्म हो गया है। बिहार में बड़ी जीत का समीकरण बना रही भाजपा पासवान को जोड़ने में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती थी। यही कारण है कि प्रदेश संगठन की ओर से पांच सीटों से आगे न बढ़ने के आग्रह के बावजूद केंद्रीय नेतृत्व ने सात सीट देकर लोजपा को साथ कर लिया है।

यह गठबंधन इसलिए भी जरूरी था क्योंकि मोदी पर सबसे पहले पासवान ने ही उंगली उठाई थी। उनकी वापसी के बाद दूसरे कई दलों के लिए रास्ता बन गया है। बताते हैं कि लोजपा जिस रामा सिंह के लिए आरा सीट पर अड़ी थी, वह अब वैशाली से राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह को टक्कर देंगे। इनके अलावा सूरजभान सिंह के भाई मुंगेर से लड़ सकते हैं। नालंदा नीतीश का गढ़ माना जाता है। अब पासवान वहां टक्कर देंगे।

बृहस्पतिवार को जदयू से निष्कासित हुए सुशील सिंह एक-दो दिन की भीतर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें औरंगाबाद से मैदान में उतारेगी। पिछले एक महीने में सुशील दो-तीन बार भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन संगठन में विरोध के कारण उन्हें औरंगाबाद से टिकट देने का आश्वासन नहीं मिल रहा था। बुधवार को जदयू ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है। दूसरी ओर भाजपा के स्थानीय नेताओं के बयान ने नेतृत्व को परेशान कर दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगले एक-दो दिन में ही सुशील भाजपा में शामिल हो जाएंगे।