घोटाला: दो बच्चो की माँ और आंगनबाड़ी कार्यकत्री ने भी लिया “हमारी बेटी उसका कल” योजना का लाभ

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corruptionफर्रुखाबाद: सरकार की योजना कितनी भी फूलप्रूफ बने उसमे सेंध लगाने वाले लगा ही लेते है| इस सेंध में सरकारी मशीनरी की भी हिस्सेदारी होती है| यदि नहीं होती तो योजना के दुरूपयोग में पकडे गए सरकारी मुलाजिम और अपपत्र लाभार्थी जेल की सजा काटते| ये दोनों काम कभी देखे नहीं गए इसलिए सरकारी मशीनरी की घोटाले में हिस्सेदारी से इंकार नहीं किया जा सकता| ताजा मामला चार दिन पहले जिलाधिकारी के हाथो वितरित हुए “हमारी बेटी उसका कल योजना” के लभार्थियो का है| इस योजना में ऐसे ऐसे लभार्थियो ने 20-20 हजार की चेके सरकारी धन की ले ली जो बिलकुल ही अपात्र थी| योजना शादी शुदा लड़कियो के लिए तो बिलकुल ही मान्य नहीं थी| मगर इसमें दो- दो बच्चो की माँ और 6 साल से आंगनबाड़ी कार्यकत्री के तौर पर काम कर रही एक महिला ने इस योजना का लाभ ले लिया| अब सवाल इस बात का है कि 5 सदस्यीय कमेटी के फ़िल्टर वाले चयन के बाद भी यदि ऐसा हुआ है तो किस किस को कितनी सजा मिलेगी? या फिर लीपापोती में भी अफसर कमाई करेंगे|

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एनआईसी की वेबसाइट पर उपलब्ध “हमारी बेटी उसका कल” योजना की लाभार्थियो की सूची में टोकन संख्या 1714 आवेदन फ़ाइल संख्या 2260 पर दर्ज अकीला बानो पुत्री मसीउद्दीन निवासी गौसपुर ब्लाक कमालगंज को भी लाभ इस योजना में मिला है| अकीला बानो पुत्री मसीउद्दीन की शादी 3 वर्ष पहले राजेपुर सराय मेदा गाव में लड्डन के साथ हो चुकी है| हमारे कमालगंज संवाददाता के मुताबिक अकीला के दो बच्चे भी है| सूत्रो के मुताबिक जिस मदरसे में अकीला को छात्रा दर्शाया गया है इस मदरसे में कक्षाएं नहीं चलती है और फर्जी नामांकन के आधार पर लाखो का सरकारी अनुदान पाने के भी आरोप लगे है|
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मायके में आंगनबाड़ी कार्यकत्री भी है अकीला-
सरकार की दूसरी योजना में अकीला बानो ससुराल राजेपुर सराय मेदा में रहकर मायके गौसपुर में आंगनबाड़ी कार्यकत्री के रूप में भी सरकारी धन पाती है| केंद्र कितना खुलता होगा इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है| एक बार जिसके मुह सरकारी धन लग जाए वो अन्यत्र भी ऐसी ही मुफतखोरी तलाशता है, इस मामले से ऐसा ही लग रहा है| जब बिना सेण्टर जाए आंगनबाड़ी केंद्र चल सकता है तो शादी शुदा को भी सरकारी योजना का लाभ मिल सकता है बस रिश्वतखोरो को रिश्वत खिलाते जाओ|
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योजना में शादी शुदा पात्र नहीं-
उत्तर प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना (विपक्षियो के आरोप में वोटो के लिहाज से) में किसी ऐसे पात्र को इस योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता जिसकी शादी हो चुकी हो| इस संबंध में बाकायदा सरकारी आदेश जारी किया गया था| बाबजूद इसके दो बच्चो की माँ भी योजना का लाभ ले जाए तो मामला कमाल का ही है|

आय प्रमाण भी फर्जी बनाया लेखपाल ने-
अकीला बानो ने इस बीस हजार मुफ्त की योजना का लाभ लेने के लिए परिवार की आय का 28000/- वार्षिक आय का प्रमाण पत्र भी बनबाया है| जिस पर हल्के के लेखपाल की रिपोर्ट भी लगी होगी| योजना का पात्र खुद आंगनबाड़ी कार्यकत्री है जिसकी खुद की कमाई भी है| सवाल है कि शादी के बाद आय प्रमाण पत्र गौसपुर के पते पर कैसे बन गया| जाहिर है इस फर्जीवाड़े में पहला सूत्रधार लेखपाल हुआ जिसने फर्जी रिपोर्ट लगाकर भ्रष्टाचार की पहली ईंट रखी|

14 सदस्यो वाली स्क्रीनिंग और जाँच कमेटी पर भी सवाल-
जिलाधिकारी ने शासन के आदेश पर पात्र और अपात्रो को छाटने के लिए 14 सदस्यीय कमेटी बनायीं थी| जिन्हे प्रपत्रो की जाँच करनी थी और भौतिक सत्यापन भी| इस कमेटी में राहत अली को मदरसो के लभार्थीओ/आवेदको की जाँच करनी थी| ये सत्यापन अधिकारी थे|

क्या वापस होगा सरकारी धन और दोषियो को मिल पायेगी सजा?
सबसे बड़ा सवाल यही है| राजनीति और सरकार दोनों साथ साथ चल रही है| योजना पर विपक्षी पहले से ही अल्पसंख्यको को लाभ पहुचने का आरोप लगता रहा है| अब सवाल है कि जिला अल्पसंख्यक अधिकारी दिलीप कटियार के संज्ञान में इस घपले की बात आने के बाबजूद क्या अपात्र को मिला योजना का पैसा सरकार के खाते में वापस जायेगा? क्या झूठा हलफनामा देने के आरोप में लाभार्थी को कोई सजा मिलेगी? क्या झूठी आय की रिपोर्ट लगाने में लेखपाल के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही जिलाधिकारी करेंगे? और क्या ससुराल में रहकर मायके के आंगनबाड़ी केंद्र में तैनाती का लाभ लेकर कार्यक्रम क्रियान्वयन अधिकारी अपनी भूल सुधार सकेंगे? क्योंकि मामले में राजनैतिक सिफारिश और वोटो की चाहत जुड़ेगी ही?