सहमति से सेक्स के बाद शादी से इन्कार नहीं माना जाएगा रेप

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3july2010court3july2010courtलखनऊ: यदि कोई वयस्क महिला और पुरुष आपसी सहमति से विवाह पूर्व शारीरिक संबंध बनाते हैं और बाद में पुरुष विवाह करने से इन्कार कर देता है तो इस स्थिति में दुष्कर्म का अपराध नहीं माना जा सकता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडीजे विकार अहमद अंसारी ने दुष्कर्म के आरोपी आशीष प्रताप सिंह का जमानत प्रार्थनापत्र मंजूर करते हुए यह मत दिया है। उन्होंने कहा कि विवाह पूर्व शारीरिक संबंध न सिर्फ अनैतिक बल्कि यह सभी धर्मों के सैद्धांतिक मतों के विपरीत भी है।

पीड़िता को यह समझना चाहिए कि वह ऐसे कृत्य में संलिप्त रही है जो न सिर्फ अनैतिक है बल्कि दुनिया के प्रत्येक धर्म के नियमों के विपरीत भी है। विशेषकर यदि कोई युवती वयस्क और शिक्षित हो और यदि वह विवाह के आश्वासन पर यौन संबंध बनाती है तो वह अपने जोखिम पर ही ऐसा कर सकती है।
सेक्स के बाद किया था शादी से इन्कार
आशीष प्रताप के खिलाफ सराय इनायत थाने में एक महिला ने दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि विधि की पढ़ाई के समय दोनों की मुलाकात हुई और आशीष ने शादी का आश्वासन देकर पीड़िता से नजदीकी बना ली। दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए। उस वक्त पीड़िता की आयु 27 वर्ष की थी।

दो वर्षों तक संबंध रखने के बाद आशीष ने विवाह करने से इन्कार कर दिया। मुकदमा दर्ज कराने के कुछ समय बाद पीड़िता ने पुलिस थाने में शपथ पत्र देकर अपने द्वारा लगाए आरोपों से इन्कार करते हुए कहा कि उसने गुस्से में उक्त आरोप लगाए थे, अब वह कोई मुकदमा नहीं करना चाहती।

इसी प्रकार का बयान उसने अदालत में भी दिया। पुलिस इस मामले में आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है। अदालत ने जमानत मंजूर करते हुए आशीष को रिहा करने का आदेश दिया है।

दिल्ली कोर्ट ने दिया था ऐसा ही फैसला
रविवार को दिल्ली में अदालत ने कहा था कि विवाह से पहले सेक्स अनैतिक और यह हर धर्म के सिद्धांतों के भी खिलाफ है। विवाह का झांसा देकर रेप करने के मामले में आरोपी युवक को रिहा करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की थी। अदालत ने कहा कि विवाह के वादे के आश्वासन पर दो वयस्कों के बीच संभोग का हर कृत्य बलात्कार नहीं बन जाता। यदि कोई युवक आश्वासन या वादा पूरा नहीं करता तो उसे रेप के आरोप में सजा देने का कोई आधार नहीं है।

द्वारका स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने अपने फैसले में कहा जब कोई युवती बड़ी हो गई हो, ऐसे में यदि वह विवाह का वादा मिलने पर किसी व्यक्ति से शारीरिक संबंध बनाती है तो यह उसका अपना जोखिम होता है। न्यायधीश भट ने कहा कि इस प्रकार का कृत्य अनैतिक ही नहीं बल्कि हर धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ भी है। उन्होंने कहा उन्हें समझना चाहिए कि दुनिया में कोई भी धर्म विवाह से पहले सेक्स की अनुमति नहीं देता है।