लोकपाल की लड़ाई में कांग्रेस और अन्ना में मैच फिक्सिंग

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anna kiran bediनई दिल्ली। सरकारी लोकपाल का समर्थन करने पर अन्ना हजारे के बदले रूख से आम आदमी पार्टी बेहद नाराज है। आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने लोकपाल बिल पर अन्ना हजारे के बदले रुख को पूरी तरह से विश्वासघात बताते हुए अन्ना पर जमकर हमला किया है। वहीं आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल अन्ना के इस बदले रुख और अपनी राय बताने के लिए आज दोपहर दो बजे एक प्रेस कांफ्रेंस भी करने वाले हैं।

कुमार विश्वास ने ट्वीट कर खुद को पांडव और टीम अन्ना को भीष्म और द्रोण बताया है। कुमार ने सरकार द्वारा लाए गए लोकपाल बिल में कई तरह की खामियां बताई हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी जनलोकपाल बिल के लिए अपनी जंग जारी रखेगी। दूसरी ओर अन्ना ने इस बिल को अब जल्दी से राज्यसभा से पास कराने के लिए सरकार से अपील की है। अन्ना का मानना है कि पहले जनता को कुछ राहत तो मिल जाए बाकि इसमें बाद में भी संशोधन किया जा सकता है।

कुमार ने लिखा, कि महासमर में कभी-कभी ऐसा समय आता है कि पितामह भीष्म के मौन और गुरु द्रोण के सिंहासन से सहमत हो जाने पर भी कंटकपूर्ण पथ पर चल कर पांच पांडवों को युद्ध ज़ारी रखना पड़ता है। सत्य की राह सारी परीक्षा दिए बिना आगे नहीं जाने देती, बाबा कबीर के अनुसार शीश दिए बिना परिणाम नहीं देती! तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहे न रहे! जय हिन्द’।

‘जनलोकपाल’ पर अन्ना के रुख से हैरान केजरीवाल

‘जनलोकपाल’ बिल के लिए समाजसेवी अन्ना हजारे के कंधे से कंधा मिलाकर बड़ी लड़ाई लड़नेवाले आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने ‘जनलोकपाल’ पर अन्ना के रुख पर हैरानी जताई है। केजरीवाल ने कहा कि अन्ना सरकारी लोकपाल बिल को कैसे स्वीकार कर सकते हैं।
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केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, मुझे सचमुच हैरानी है। अन्ना भला सरकारी बिल कैसे स्वीकार कर सकते हैं। सरकारी लोकपाल ‘जोकपाल’ है। आखिर अन्ना को कौन भरमा रहा है। मैं बेहद दुखी हूं। अगस्त 2011 को सरकार के साथ जिन तीन शर्तों के बाद अन्ना ने अपना अनशन तोड़ा था, वो इस बिल में नहीं हैं। अन्ना चाहे जो कहें हम अंतिम दम तक जनलोकपाल की लड़ाई लड़ते रहेंगे।

उतावलेपन पर सवाल

लोकपाल बिल पास कराने को लेकर सरकार और बीजेपी के उतावलेपन और अन्ना की सरकारी बिल को मंजूरी पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या लोकपाल की ये लड़ाई कांग्रेस और अन्ना में फिक्स हो चुकी है।

लोकपाल और जनलोकपाल में कई मुद्दों पर अतंर होने के बावजूद अन्ना ने सहमति क्यों दी। अचानक अन्ना ने एक बार फिर क्यों लोकपाल के लिए लड़ाई और अनशन का ऐलान किया। बीजेपी भी अपने सारे विरोध छोड़कर सरकार के सुर में सुर क्यों मिलाने लगी।