FARRUKHABAD : 21 लाख फर्जी चेकों के माध्यम से निकल जाने की सूचना पर मीडिया कर्मी पीएनबी बैंक पहुंचे तो कैमरे का फ्लैश पड़ते ही बैंक के कैशियर मीडियाकर्मियों के सामने ही फफक कर रो पड़े और मैनेजर का बीपी बढ़ गया। जिस बजह से उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।
दर असल घटना के कई घंटे पहले होने के बाद पुलिस को देर में सूचना देने के मामले में मैनेजर पहले ही पुलिस के संदेह के घेरे में थे। पुलिस जब शाम तकरीबन सवा सात बजे बैंक पहुंची तो उससे कुछ समय पहले मैनेजर बैंक से निकल गये। एक घंटे पुलिस मैनेजर आर के सिंह का इंतजार करती रही। इसी बीच कैशियर बीके शुक्ला पर मीडिया ने सवालों की झड़ी लगा दी। कुछ सवालों का जबाब देकर कैशियर बीके शुक्ला फफक कर रोने लगे। इसके उपरांत मैनेजर आर के सिंह भी पुलिस के बुलाने पर बैंक पहुंचे। उन्होंने बताया कि वह वकील से मिलने के लिए गये थे।
मैनेजर के आते ही मीडिया ने उन्हें भी अपने घेरे में लिया। मौके पर सीओ व अन्य पुलिसकर्मी बैठे थे। सवालों की झड़ी शुरू होते ही मैनेजर के चेहरे पर पसीना आने लगा। बगैर कुछ बताये मैनेजर अपने चेम्बर से बाहर चले गये। बाद में सीओ ने मीडियाकर्मियों को समझाबुझाकर शांत किया। फिलहाल मैनेजर की गोलमोल बातों से वह शक के दायरे में आ रहे हैं।
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बैंक में चेक कैश कराने का तरीका यह है कि जिस बिन्डो पर कैशियर बैठता है उसी बिन्डो पर ग्राहक अपना चेक कैश कराता है। लेकिन इससे पूर्व अगर कैशियर को चेक में भरे रुपये पास करने का अधिकार नहीं है तो वह अपने बैंक के मैनेजर अथवा अधिकृत व्यक्ति के पास चेक को पास कराने के लिए भेजता है। वह सम्बंधित व्यक्ति चेक पर बने हस्ताक्षर, बैंक एकांउट इत्यादि को चेक करने के बाद पुनः उसी कैशियर के पास भुगतान के लिए चेक भेज देता है और ग्राहक को अपना रुपया मिल जाता है। प्रश्न यह खड़ा हो जाता है कि आखिर तीन तीन चेकों को किस आधार पर कैश किया गया। इस प्रश्न का जबाब बैंक मैनेजर आर के सिंह किसी भी कीमत पर देने को तैयार नहीं हुए। फिलहाल पुलिस बैंक मैनेजर की तहरीर के इंतजार में है।
शहर कोतवाल राजेश्वर सिंह ने बताया कि तहरीर मिलने के बाद बैंक मैनेजर से भी सघनता से पूछताछ की जायेगी।