गुरूजी का भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन- मदरसे के भ्रष्टाचार को छुपाने में लगे अधिकारी

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Ainul-Hasanफर्रुखाबाद: जब पूरे उत्तर प्रदेश में फर्जी मदरसे पकडे गए और कार्यवाही हुई तो फर्रुखाबाद बच गया| शायद कोई फर्जी मदरसा मिला नहीं या फिर आदतन ये कह कर मामला टाल दिया गया कि किसी फर्जी मदरसे की शिकायत नहीं है| मगर जब एक रिटायर अध्यापक ने एक मदरसे को अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के यहाँ से मिले सूचना के अधिकार के तहत दस्ताबेजो के दम पर दावा कर दिया कि उक्त मदरसा फर्जी संचालित है तो तमाम अधिकारी उसे असली साबित करने पर तुल गए है| नोटों की गठरी के मुकाबिल गुरूजी अब भ्रष्टाचार के खिलाफ कलक्ट्रेट में अनशन पर है| और मदरसा संचालक अपनी खाल बचाने के लिए तराजू लेकर बैठ गया है|
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कमालगंज के राजेपुर सराय मेदा में वर्ष 2008 में जामिया अरबिया यासिनुल हसन स्थापित दर्शाया गया| भवन को किराये पर दिखाया गया| भवन का जो दस्ताबेज प्रस्तुत कर मान्यता ली गयी उसमे 20X15 के सात कमरे और 10X15 के चार कमरे दर्शाए गए| ये मानक थे जिनके हिसाब से कागज प्रस्तुत कर तत्कालीन अल्पसंख्यक अधिकारी ने मान्यता की मुहर लगा दी| मगर चौकाने वाली बात ये है कि जिस मकान मालिक मो अनीस पुत्र मुज्ज्मिल हुसैन से ये कमरे किराये पर लिए गए दिखाए गए है उसके पास तो यह सब है ही नहीं| एक छोटा सा मकान है जिसमे वो अपनी गुजर बसर करते है| इतने बड़े बड़े कमरे तो उसके पास कभी थे ही नहीं| मतलब साफ़ है कि मदरसा कागजो पर है| इतना ही नहीं मदरसा में तीन मास्टर तैनात दिखाए गये| तीनो मदरसा संचालक के घर के सदस्य है| दो भाई और एक भाई की बेटी| घर का माल घर में| बात जनहित और समाजसेवा की|

मगर इससे बड़ी बात तो अब है जब इसके फर्जी होने की शिकायत हो गयी है| शिकायतकर्ता ऐनुल हसन आमरण अनशन पर बैठ गए है| ७० साल का बुजुर्ग अपनी मौत पर भी भ्रष्टाचार पर इन्साफ मांग रहा है और अफसर है कि अभी भी मदरसे को सही साबित करने पर तुले हुए है| १५/१०/२०१३ को अल्पसंख्यक अधिकारी अपनी जाँच रिपोर्ट में लिखते है कि गाँव वालों ने बताया कि मदरसा था| अब दूसरे भवन में चला गया है| मगर जाँच अधिकारी वो भवन नहीं दूंढ पाए जिस पर मान्यता दी गयी थी| न ही इस पर अपनी रिपोर्ट में कुछ लिखते है| शायद अल्पसंख्यक अधिकारी अपनी जिद पर है कि अहसान पूरा चुकायेंगे| दूसरी तरफ शिकायत के बाद मदरसा संचालक रात दिन एक कर नया भवन बनाने में जुटा है| वर्तमान में शिकायती मदरसे के बच्चे एक दूसरे अपने ही मदरसे में पढ़ता हुआ दिखा रहा है| ऐसा अल्पसंख्यक अधिकारी की रिपोर्ट कहती है| मगर वो ११ कमरे का भवन कहाँ है इस पर कोई रिपोर्ट नहीं दी| जाहिर है भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए अधिकारी पूरी ताकत लगा दिए है| एक बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अधिकारी ने जे एन आई को बताया कि मदरसा मान्यता स्थल पर नहीं है|

मदरसे का प्रबन्धक बेसिक शिक्षा परिषद् का अध्यापक है| उसे ससपेंड करके जाँच को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है| कौन नहीं जनता की बेसिक शिक्षा में ससपेंड होना इनाम पाने जैसा होता है| कुछ दिन बाद सवेतन बहाली| तब काम से भी फुर्सत| फाइलों के पेट भरे जा रहे है की अगर ऊपर से रिपोर्ट मांगी गयी तो क्या भेज जायेगा| हमेशा की तरह घपले घोटाले छिपाने के लिए एकदम बेहतरीन स्क्रिप्ट तैयार| जाँच तीन विभाग कर रहे है| अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक| बेसिक शिक्षा अभी फर्जी अनुदेशक भर्ती मामले में मुकदमा तक नहीं लिखा पाया| त्रिस्तरीय जाँच का मतलब अफसर समझते है| और जनता सिर्फ नतीजा समझती है| ऐनुल हसन अपनी जान पर खेल रहे है भ्रष्टाचार के खिलाफ| एक बार फिर परीक्षा है ईमानदारी की| आने वाले कल के युवाओ को क्या रास्ता दिखायेंगे ये सरकारी अफसर| क्या इन्साफ मिलेगा या फिर संचालक का थैला भारी पड़ेगा? या फिर जबरिया ऐनुल हसन को सलाखों के पीछे भेज दिया जायेगा| …