बेसिक शिक्षा में समायोजन निरस्त, पहले “असली नेता” की होगी पहचान

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फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा में शिक्षा से ज्यादा नेतागिरी पर चर्चा और गतिविधियाँ होती है| फर्रुखाबाद जनपद का शिक्षा के मामले तो रिकॉर्ड भले ही प्रदेश में दोयम दर्जे का हो मगर बेसिक शिक्षा में नेतागिरी में प्रदेश में अव्वल होगा| अधिकांश शिक्षक पढ़ाई से मुक्ति और मुख्यालय पर नियुक्ति के चक्कर शिक्षक संघो के पदाधिकारी बनने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देते है| देर रात प्राथमिक शिक्षक संघ के एक गुट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को घेर कर दूसरे गुट को फर्जी बताते हुए उनके कहने पर हुए शिक्षक समायोजन/तबादले निरस्त करने की माग की| जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने हाल ही में हुए समायोजन निरस्त का आश्वासन दिया है| मगर इससे पहले संगठन में असली पदाधिकारी कौन है ये जानने के लिए प्रांतीय अध्यक्षों को पत्र भेजा जा रहा है|
Bhoopesh Pathak
देर रात लगभग ८ बजे जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के संयोजक नरेन्द्र पाल सिंह राजपूत, सह संयोजक भूपेश पाठक सहित दो दर्जन से ज्यादा शिक्षक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से भेट करने पहुचे| भूपेश पाठक के ग्रुप ने बी एस ए के समक्ष दावा ठोका कि विजय बहादुर यादव जो खुद को प्राथमिक शिक्षक संघ का जिलाध्यक्ष बताते है वे फर्जी जिलाध्यक्ष लिखते है| जबकि जिला कार्यकारिणी ही भंग चल रही है| इस सम्बन्ध में उन्होंने कई दस्ताबेज भी बी एस ए को सौपे| दरअसल में ये मुद्दा इसलिए फिर से जिन्दा हो गया है क्योंकि समायोजन की जारी पिछली सूची में विजय बहादुर यादव का तबादला दूरस्त ग्रामीण अंचल में हो गया था| अब इतनी दूर स्कूल हो जाने पर कम से कम हाजिरी के लिए तो दूर ही जाना पड़ेगा| लिहाजा विजय बहादुर ने अपने लैटर पेड़ पर जिस पर जिलाध्यक्ष लिखा था बी एस ए को थमाया और कुछ शिक्षको के साथ बी एस ए पर दबाब बनाया| बी एस ए साहब ने दबाब में आकर समायोजन संशोधन किये और विजय बहादुर के अनुसार लगभग १ दर्जन संशोधन जारी हो गए|
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अब दूसरा गुट भी कामयाब हो गया-
अब संशोधन जारी होने के बाद विजय बहादुर का सिक्का जम गया| इसके बाद विजय बहादुर ने शिक्षक के अपहरण की बरामदगी पर जिला पुलिस कप्तान से मुलाकात कर बधाई दी और फिर सिक्का ज़माने का प्रयास किया| मतलब ये कि संशोधन भी मनमाने करा ले गए और नेतागिरी भी कायम कर गए| बस फिर क्या था? संघठन के पदाधिकारी होने के असली नकली का चक्कर चल गया| विजय बहादुर अपने कागज दिखाते है कि सही जिलाध्यक्ष है| जबकि भूपेश पाठक गुट का कहना है कि जिला कमेटी ही भंग है| फिलहाल बी एस ए पर दूसरे गुट का भी दबाब काम आया| समायोजन की जारी सूची में जिन लोगो ने नए विद्यालय (मन माफिक मिलने की स्थिति में) ज्वाइन कर लिए उन्हें छोड़ सूची के बचे नाम निरस्त कर दिए जाने का भरोसा मिल गया|
असली नकली की पहचान होगी-
कुल मिलाकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी नरेद्र शर्मा चक्की के पाट में गेंहू बनते नजर आये| सभी शिक्षक अपनी अपनी मनवाने में कामयाब हुए| कोई एक गुट के साथ गया तो कोई दूसरे गुट के साथ| फिलहाल बच्चो को पढ़ाने और शिक्षक पहुचाने का मकसद ख़त्म हो गया| शिक्षा की ऐसी अर्थी निकाल रहे है जिले के शिक्षक जिसके एक कोने पर बीएसए का कन्धा भी लगा हुआ है| मगर इन सबके बीच सबसे बड़ी खबर ये है कि अब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय संगठन को चिट्ठी लिख पूछा है कि “बताये असली कौन, नकली कौन” पधाधिकारी है| जब तक विजय बहादुर के नकली होने का प्रमाण नहीं आ जाता तब तक दोनों गुटों को बराबर तौलते हुए दोनों गुट के मन के समायोजन निरस्त/संशोधन कर दिए गए|

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से मिलने वालों में मनोज मिश्र, प्रमोद सिंह, संजय कुमार, होशियार सिंह, कुलदीप यादव, संजय कुमार, राजेश कुमार यादव, नीरज कुमार, मानेद्र सिंह, आशीष गंगवार, संजय यादव, अनिल कुमार यादव, राजेश कुमार, अमित कुमार, जय गोपाल, राजीव यादव, भूपेन्द्र सिंह, राजेश यादव, श्याम कुमार, ॐ नारायण, सोमनाथ दीक्षित शामिल रहे|