सोची-समझी चाल थी राहुल की ‘बगावत’!

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rahulदागी सांसदों और विधायकों के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सरकार के अध्यादेश पर राहुल के विरोध की जानकारी कांग्रेस अध्यक्ष और प्रधानमंत्री समेत एक-दो वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को ही थी। इस आधार पर यह तो तय था कि राहुल गांधी इस अध्यादेश का विरोध करेंगे ,लेकिन उऩ्होंने प्रेस के सामने जिन कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया, उससे कांग्रेसी नेता भी चौंक गए। हालांकि राहुल के बयान के चंद घंटे के भीतर ही प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष की बात भी हुई। हालांकि, पार्टी के उच्च सूत्रों ने यह भी साफ किया है कि अध्यादेश को वापस लेने के पहले प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी की बातचीत होगी। क्योंकि अब तक सोनिया ने अध्यादेश पर कोई टिप्पणी नहीं की है। साथ ही, चूंकि अध्यादेश पर रजामंदी पहले कोरग्रुप में हुई थी फिर कैबिनेट में हुई। कोरग्रुप की अध्यक्षता सोनिया गांधी करती हैं इसलिए यह मामला दोबारा कोरग्रुप में ही जाएगा और उसके बाद अध्यादेश वापस लेने के लिए कैबिनेट बैठेगी।

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सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया है कि परिस्थितियां पार्टी के अंदर बहुत तेजी से बदल रही हैं, और राहुल को अध्यादेश पर जो फीडबैक मिला, उसके आधार पर उन्होंने अपनी बात रखी। इस बारे में राहुल पहले ही प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख चुके हैं। उन्हें लगा कि यह सरकार के खिलाफ जाने वाला मामला हो सकता है,इसलिए उन्होंने बहुत सख्त टिप्पणी की। संभव है भविष्य में किसी बैठक में कठोर संदेश पर चर्चा भी हो। अब सरकार की सबसे बड़ी दिक्कत यह होगी कि उसे अध्यादेश के साथ साथ उस बिल को भी वापस लेना पड़ेगा जो दोषी नेताओं को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बचाने के लिए राज्यसभा में पेश किया गया है। और ऐसा तभी हो पाएगा जब संसद का सत्र चले। कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री के आने तक यह अध्यादेश राष्ट्रपति के पास ज्यों का त्यों पड़ा रहेगा।

पहले भी पार्टी नेताओं को अपने फैसले से चौंकाते रहे हैं राहुल

१.राहुल गांधी ने युवा कांग्रेस में चुनाव की प्रक्रिया के तहत चयन को मंजूरी दी थी। राज्यों में चुनाव के दौरान बड़ी तादाद में सिरफुटव्वल देखने को मिली थी । व्यापक पैमाने पर युवा कांग्रेस के चुनाव लडऩे के लिए उम्मीदवारों ने पैसा खर्च किया था। इस बात का विरोध कांग्रेस के सूरजकुंड में हुई संवाद बैठक में हुआ, जब सीडब्लूसी सदस्य चौधरी वीरेंद्र सिंह ने युवा कांग्रेस के चयन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। वीरेंद्र का समर्थन वरिष्ठ महिला नेता मोहसिना किदवई ने भी किया था। इस बैठक में कई नेताओं ने कहा था कि इस चयन की प्रक्रिया से युवा कांग्रेस मजबूत नहीं कमजोर हो रही है। इसके बावजूद राहुल अपने फैसले पर अडिग रहे और अब भी चुनाव निर्वाचन प्रक्रिया से हो रहे हैं।

2. राहुल के गठबंधन संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया हो चुकी है। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के अंदर माखनलाल फोतेदार समेत कई नेताओं ने यह कहा था कि मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था में गठबंधन को कांग्रेस ने भी अपनाया है और अगर क्षेत्रीय दलों से संबंध तोड़कर कांग्रेस को मजबूत करना है तो उसके लिए मीडिया के जरिए बयान देने की जरूरत नहीं है। लेकिन राहुल का सपना है कि पार्टी अपने जनाधार पर सत्ता में आए। यही वजह है कि महाराष्ट्र दौरे में उन्होंने एनसीपी की अनदेखी करते हुए कार्यकर्ताओं से अपनी दम पर सरकार बनाने का आव्हान किया था।