तहसील दिवस: 400 में 40 शिकायतें दर्ज, निस्तारण के नाम पर सिर्फ लालीपाप

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FARRUKHABAD : समाजवादी पार्टी की सरकार चाहे जितना दावा कर ले लेकिन हकीकत से शायद वह भी रूबरू नहीं। योजना के अनुसार तहसील दिवस का आयोजन महज इसी बजह से शुरू किया गया था कि दूर दराज से आने वाले पीडि़त व फरियादियों को एक ही स्थान पर पूरे प्रशासनिक कुनबे के अधिकारी मौजूद होंगे और उसे त्वरित न्याय मिलेगा। लेकिन अखिलेश राज में ऐसा नहीं हो रहा है। कामचोरीकी हद पार करते हुए नीचे से लेकर ऊपर तक पूरा कुलवा साफ दिखायी देता है। जिसका एक बार उदाहरण फिर सामने आया है। मंगलवार को सदर तहसील में आयोजित किये गये जनता दरबार में भीड़ सैकड़ों की संख्या में हुई लेकिन शिकायतें मात्र 40 ही दर्ज की गयीं और उनमें भी किसी एक अकेले व्यक्ति तक को न्याय नहीं मिल सका। अनायास ही जनता दरबार पर प्रश्नचिन्हं लगना लाजमी है। अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक सभी अपनी अपनी कुर्सी बचाने के तरीके ढूंढते फिर रहे हैं।
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जनता दरबार में दर्ज करायी जाने वाली शिकायताों के निस्तारण हेतु एक प्रक्रिया बनायी गयी थी। जिसमें जनता दरबार में प्रार्थनापत्र देने से पहले उसमें एक रजिस्टेश्न नम्बर डालना पड़ता है। वही नम्बर तहसील के एक रजिस्टर में भी दर्ज किया जाता है। जिसके बाद उसे तहसील दिवस की बेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाता है। बेबसाइट यह दर्शाती है कि कितनी शिकायतें अभी निस्तारित नहीं हुईं। और कितनी हुईं। इसी आधार पर बीते कुछ दिनों पूर्व लखनऊ से जनपद के अधिकारियों को तलब किया गया था।
काफी पुरानी प्रार्थनापत्रों का निस्तारण न हो पाने और पुरानी शिकायतों की एक लम्बी लिस्ट होने के चलते अपने आला अधिकारियों व शासन से फटकार झेलनी पड़ी। जिससे अधिकारी सतर्क हो गये। उन्हें इस बात में कोई गुरेज नहीं कि फरियादी की समस्या का निस्तारण हो या न हो। उन्होंने अपने पदेन कर्मचारियों को इशारों इशारों में कम फरियादों को रजिस्टर में दर्ज करने का फरमान जारी कर दिया। कर्मचारियों की क्या मजाल कि वह आदेश का पालन न करें। जिसका जीता जागता उदाहरण मंगलवार को पुनः एक बार सामने आया।
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सैकड़ों की संख्या में आये फरियादियां में से मात्र 40 की फरियादें दर्ज की गयीं। जिनमें 12 राजस्व, तीन पुलिस, दो बैंक, एक चिकित्सा, चार चकबंदी, दो शिक्षा,  6 विद्युत, एक पशु विभाग, तीन नगर पालिका, तीन विकास, एक विद्युत विभाग व एक जलनिगम की शिकायतें शामिल हैं। सभी फरियादियों को सिर्फ मौके पर मौजूद प्रशासनिक अमले ने लालीपाप देकर चलता कर दिया। आंखों ने जो देखा उससे तो यही अंदाजा लगाया जा सकता था कि तकरीबन 200 से 300 फरियादी प्रार्थनापत्र लेकर पहुंचे। ऐसे न जाने कितने फरियादी हैं जो वर्षों से तहसील दिवस के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला।
इस दौरान एसडीएम सदर राकेश पटेल, तहसीलदार सदर राजेन्द्र चैधरी, क्षेत्राधिकारी नगर योगेन्द्र कुमार सिंह, क्षेत्राधिकारी मोहम्मदाबाद योगेश कुमार, शहर कोतवाल रूम सिंह यादव आदि अधिकारी मौजूद रहे।