बाढ में उजड़े ग्रामीणों से नावों पर अवैध वसूली, प्रशासन पीट रहा मदद का ढिंढोरा

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FARRUKHABAD : जनपद के सैकड़ों गांवों के ग्रामीण बाढ़ की विभीषिका से बीते डेढ़ माह से जूझ रहे हैं लेकिन प्रशासन द्वारा मदद का ढिंढोरा पीटने के अलावा हकीकत में अभी तक कोई मदद नहीं की गयी है। जिन नावों को प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के आने जाने के लिए दिया जाना बताया जा रहा है उन नावों से एक चक्कर का 50 से 100 रुपये तक प्रति व्यक्ति वसूला जा रहा है। प्रशासन जहां बाढ़ चैकी होना बता रही है वहां न बाढ़ चैकी है और न चैकीदार। ग्रामीणों के आवागमन वाली जो सड़कें कट गयीं वह कट गयीं, प्रशासन की तरफ से उनकी मरम्मत की कोई व्यवस्था नहीं की गयी। यही हाल बाढ़ पीडि़तों के लिए बनाये गये रैन बसेरों का है।

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बुधवार को गंगा का जल स्तर 137 मीटर पर स्थिर रहा लेकिन 133839 क्यूसेक पानी नरौरा बांध से छोड़ दिये जाने से जल स्तर में बढ़ोत्तरी होने की संभावना जतायी जा रही है। वहीं रामगंगा का जल स्तर फिलहाल तो 135.70 मीटर पर टिका है लेकिन उसमें भी 16875 क्यूसेक पानी एक साथ छोड़ दिये जाने से तटीय क्षेत्र जलमग्न होने की आशंका बनी हुई है।

वैसे तो गंगा व रामगंगा की तलहटी में बसे गांवों के ग्रामीण घर मकान, पशुधन, फसलें इत्यादि सब कुछ खो चुके हैं लेकिन अब डेढ़ माह से बाढ़ की विभीषिका झेल चुके ग्रामीणों को जान के लाले बने हुए हैं। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में लगभग हर घर में एक बीमार व्यक्ति पड़ा हुआ है। जिनके इलाज के लिए गांव के ही झोलाछाप डाक्टरों व परचून की दुकानों पर मिलने वाली एंटीवाइटिक टेबलेट का सहारा लिया जा रहा है। जिससे आने वाले दिनों में इन लोगों के गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने की भी आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

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वहीं प्रशासन की तरफ से कागजों में बाढ़ चैकियों पर कर्मचारी निगरानी कर रहे हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी की तरफ से कागजों में ही स्वास्थ्य टीमें क्षेत्र में दवाई का वितरण कर रही हैं। लेकिन हकीकत में अभी तक किसी गांव में न ही बाढ़ पीडि़तों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया और न ही गंभीर बीमारों तक को दवाई इत्यादि बांटी गयी। जनपद के दर्जनों गांवों का जिला मुख्यालय व एक दूसरे गांव से सम्पर्क टूट जाने के कारण अब लोग बीमारों को इलाज के लिए भी नहीं ले जा पा रहे हैं। जिन गांवों में ट्रैक्टर की सुविधा है तो ग्रामीण इकट्ठे होकर ट्रैक्टर से अपनी जरूरत का सामान डूब पानी में पहुंचा रहे हैं। इसके साथ ही ग्रामीणों को शौच जाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गांव के चारो तरफ पानी भरे होन