लखनऊ। किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को सेवानिवृत्त कर्मचारी की ग्रेच्युटी का भुगतान बिना किसी उचित कारण के रोकने का अधिकार नहीं है। यह आदेश है इलाहाबाद हाई कोर्ट का। कोर्ट ने निर्देश दिया कि लोक सेवकों को तानाशाह की तरह व्यवहार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने महेंद्र प्रकाश श्रीवास्तव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया। महेंद्र प्रकाश जिला न्यायालय इलाहाबाद में कार्यरत थे। सेवानिवृत्ति के बाद उनकी ग्रेच्युटी व पेंशन यह बताकर रोक दी गई कि उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही विचाराधीन है जबकि राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि याची के विरुद्ध वर्तमान में कोई जांच लंबित नहीं है। इस पर हाई कोर्ट ने जिला न्यायाधीश इलाहाबाद पर पांच हजार रुपये का हर्जाना लगाया है तथा निर्देश दिया है कि याची को दस फीसद ब्याज के साथ चक्रवृद्धि ब्याज के साथ ग्रेच्युटी का भुगतान करें।
कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 12 के अंतर्गत राज्य की श्रेणी में आने वाली संस्थाओं के अधिकारी लोक सेवक हैं। देश की संप्रभुता आम आदमी में निहित है। सरकार का प्रत्येक अधिकारी जनता के प्रति उत्तरदायी है। सरकारी अधिकारी से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने कर्तव्य का पालन अधिक जिम्मेदारी व जवाबदेही के साथ करे। मनमाने तौर पर किसी को भी कार्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
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