बसपा सुप्रीमो मायावती ने सांसद विजय बहादुर सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस कार्रवाई से संसदीय क्षेत्र की राजनीति में हलचल पैदा हो गई है।
राजनैतिक जानकार उनके भाजपा से चुनाव लड़ने के कयास लगाने लगे है। हालांकि सांसद अभी कुछ कहने से बच रहे है। कहा कि बपसा सुप्रीमो मायावती हमेशा विधायकों व सांसदों को अनुशासन का पाठ पढ़ाकर डराने धमकाने का काम करती है। उन्होंने कभी भी अनुशासन नहीं तोड़ा है।
हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता विजय बहादुर सिंह बीते 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा से टिकट पाकर राजनैतिक दलों में खलभली मचाई थी।
संगठन ने उनकी भरपूर मदद की साथ ही मतदाताओं का भी अप्रत्याशित समर्थन मिला। जिससे विजयी घोषित हुए, लेकिन पार्टी हाईकमान ने उनका टिकट काट दिया और महोबा के पूर्व विधायक राकेश गोस्वामी को प्रत्याशी घोषित कर दिया।
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राजनैतिक जानकारों का मानना है कि मौजूदा सांसद भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं के संपर्क में हैं। जिसके चलते कयास लगाए जा रहे है कि वह अगला चुनाव भाजपा से लड़ेंगे।
कुछ दिन चुप्पी साधने के बाद उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान का समर्थन कर बसपा में हलचल पैदा कर दी। इसी के बाद से लगने लगा था कि वह अब ज्यादा दिनों तक बसपा के मेहमान नहीं रहेंगे।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने नरेंद्र मोदी के बयान का समर्थन अनुशासनहीनता माना। उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
इस मामले में सांसद विजय बहादुर सिंह का कहना है कि पार्टी के संविधान में कही नहीं है कि वह किसी दूसरे दल के नेता की तारीफ न करें।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कई बार पार्टी सुप्रीमो मायावती की तारीफ की है। तब संविधान का उल्लंघन नहीं हुआ तो अब कैसे हो गया?
फिलहाल भाजपा चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष मोदी की तारीफ करने के मामले में उनका कहना है कि वह इसी दल में शामिल होने पर विचार कर रहे है।