‘विकास कैसे होता है, मोदी से सीखें अखिलेश’

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montek singhदिल्ली: यूपीए सरकार के मंत्री और कांग्रेस भले ही गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फेंकू साबित करने पर तुले हों, मगर सरकार का ही योजना आयोग मोदी के विकास मंत्र का कायल है। आलम यह है कि योजना आयोग दूसरे राज्यों को भी गुजरात मॉडल अपनाने की नसीहत दे रहा है। ऐसी ही एक सलाह योजना आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को दी है।

आयोग ने उत्तर प्रदेश को बिजली आपूर्ति में सुधार के लिए गुजरात मॉडल अपनाने को कहा है।

आयोग ने यह सलाह ऐसे समय दी है जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव राज्य की वार्षिक योजना की मंजूरी के लिए बृहस्पतिवार को योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलुवालिया के साथ बैठक के लिए दिल्ली आ रहे हैं।

आयोग ने कहा है कि आर्थिक पिछड़ापन दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश को बिजली के उत्पादन और उसकी आपूर्ति व्यवस्था में सुधार लाना ही होगा।
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इसके लिए आयोग ने प्रदेश सरकार को गुजरात का मॉडल लागू करने की सलाह दी है। आयोग ने राज्य को वितरण तथा पारेषण की प्रक्रिया में होने वाले 35.82 फीसदी नुकसान को कम करने की सलाह दी है।

आयोग ने यह सलाह वार्षिक योजना के लिए तैयार किए गए एक प्रपत्र में दी है। आयोग का कहना है कि प्रदेश में बिजली की कमी को दूर करने के लिए सौर ऊर्जा अच्छा विकल्प हो सकता है।

सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए यूपी गुजरात मॉडल का इस्तेमाल कर सकता है। सौर ऊर्जा के लिए राज्य में जमीन भी पर्याप्त है।

गौरतलब है कि गुजरात ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नायाब पहल करते हुए नहरों को ढक कर उन पर सोलर पैनल लगाए हैं। इससे सौर ऊर्जा संयंत्र के लिए जमीन अधिग्रहण करने की जरूरत नहीं पड़ी।

गुजरात ने औद्योगिकीकरण को रफ्तार देने के लिए बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए जो दीर्घकालीन नीति बनाई, वह पूरी तरह से ना सिर्फ सफल हुई बल्कि अब दूसरे राज्यों के लिए उदाहरण भी बन गई है।

राजस्थान ने भी सौर ऊर्जा के जरिए राज्य में बिजली उत्पादन में खासा सुधार किया है। उत्तर प्रदेश के वार्षिक योजना बजट को योजना आयोग बृहस्पतिवार को अंतिम रूप देने जा रहा है।

बताया जा रहा है कि वर्ष 2013-14 के लिए प्रदेश ने 66000 करोड़ रुपये का बजट के प्रस्ताव योजना आयोग को भेजा है जो पिछले वर्ष के 57800 करोड़ रुपये से लगभग 14.10 फीसदी अधिक है।

वार्षिक योजना में सर्वाधिक 13 फीसदी आवंटन शिक्षा के लिए किया गया है। इसके अलावा कृषि क्षेत्र के लिए 8.2 फीसदी धनराशि खर्च करने का प्रावधान किया गया।