IAS की नौकरी छोड़ने से पहले राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त टी प्रसाद ने की थी नियम विरुद्ध भर्तियाँ

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T prasadयूपीएसआईडीसी में एक और भर्ती घोटाला सामने आया है। निगम प्रबंधन ने वर्ष 2009 में नियम को दरकिनार कर मानवीय आधार पर 23 कर्मचारियों को नियमित कर दिया। प्रबंधन मामले को दबाने में लगा है, क्योंकि जिन संयुक्त प्रबंध निदेशक के कार्यकाल में यह हुआ, वे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद अब सपा में शामिल हो गए हैं।

उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) में कर्मचारियों की भर्ती में सर्वाधिक घोटाले हुए। वर्ष 2008 और 09 में बैकलाग के रिक्त पदों को भरने में जहां भारी घोटाला किया गया वहीं वर्ष 2009 में मानवीय आधार पर नियुक्तियां करके शासन को चुनौती दी गई। निगम में कार्यरत चार सौ से अधिक मस्टर रोल, वार्कचार्ज, दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को नियमित करने की मांग तो कई वर्षो से उठ रही है, लेकिन उनके नियमितीकरण में खेल भी होता रहा। इन कर्मियों को चतुर्थ श्रेणी के पद दिए जाने थे। इस पद के लिए शैक्षिक योग्यता कक्षा पांच एवं उम्र 18 से 35 वर्ष होनी चाहिए। वर्ष 2009 में 23 कर्मियों को मानवीय आधार पर तैनाती का फैसला कर लिया गया। तत्कालीन प्रबंध निदेशक द्वारा बनाई गई चयन समिति ने उम्र और शैक्षिक योग्यता में मानवीय आधार पर छूट देते हुए तैनाती को मंजूरी दे दी। चयन समिति की संस्तुतियों को प्रबंध निदेशक ने अनुमोदित किया तो तत्कालीन संयुक्त प्रबंध निदेशक ने नौ फरवरी 2009 को नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया। इसमें 16 कर्मियों की नियुक्ति की प्रभावी तिथि 23 जनवरी 09 तय की गई तो सात कर्मियों को प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया। तय किया गया कि जो कर्मी रिटायर्ड होते जाएंगे उनके स्थान पर उनकी नियुक्ति प्रभावी होती जाएगी। अब मामला खुला है तो प्रबंधन दबाने की कोशिश कर रहा है।

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इन्हें मिली तैनाती

गजानन विश्वकर्मा, फागू यादव, राम निरंजन गुप्ता, हर प्रसाद, श्याम सुंदर, विक्रम सिंह, दुर्गा प्रसाद, जगदीश सिंह, अब्दुल सलाम, कृपा शंकर, सुरेश चंद्र, बीरबल सिंह, रामगोपाल, राजेंद्र प्रसाद, भूदेव सिंह, धन बहादुर।

प्रतीक्षारत

दुर्गा प्रसाद, बलेदीन, इफ्तियाक खान, भूदेव, रामेश्वर प्रसाद, केएन वर्मा, हरदत्त जोशी को प्रतीक्षा सूची में रखा गया। बाद में इन्हें तैनाती दी गई।