शमसाबाद (फर्रुखाबाद): उत्तराखण्ड के बाढ़ पीडि़तों व प्राकृतिक आपदाग्रस्त लोगों को भले ही उत्तर प्रदेश सरकार व जनप्रतिनिधियों द्वारा सहायता की जा रही हो लेकिन जनपद के बाढ़ पीडि़तों की तरफ शायद कोई देखने वाला नहीं है। बाढ़ पीडि़तों को नजरंदाज करने के अलावा सिंचाई विभाग द्वारा कटान रोकने के लिए भरवाई जा रही बोरियों में बाल मजदूर लगाकर काम करवाया जा रहा है। जिन्हें 1 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से मजदूरी भी तय कर दी गयी है।
विदित हो कि जनपद में पिछले लगभग तीन सप्ताह से गंगा किनारे लोग बाढ़ से घिरे हुए हैं। बाढ़ व गंगा के कटान में उनकी फसलें नेस्तनाबूद हो चुकी हैं। ऐसे में इन बाढ़ पीडि़तों को रोजी रोटी चलाने के लाले पड़े हुए हैं। सिंचाई विभाग द्वारा शमसाबाद क्षेत्र के ग्राम सादौसराय के नीचे गंगा कटान रोकने के लिए मिट्टी की बोरियां भरवाई जा रही हैं। जिसमें बाढ़ पीडि़तों के दर्जनों बच्चे काम में लगे हुए हैं।
जब इन बच्चों से काम के बारे में पूछा गया तो इन्होंने बताया कि उन्हें एक रुपया प्रति बोरी के हिसाब से मजदूरी दी जाती है। दिन भर में लगभग 100 से 150 बोरी तक भर लेते हैं। वह मजदूरी से कमाया गया रुपया घर के खर्चे के लिए मां बाप को देते हैं।
[bannergarden id=”11″]
वहीं जब बाल मजदूरों के सम्बंध में मौके पर मौजूद सिंचाई विभाग के कर्मचारी से पूछा गया तो उसने बताया कि इन बच्चों के परिजन काम पर लगे हुए हैं। परिजन कहीं खाना खाने गये हुए होंगे, तभी यह बच्चे बस यहां पर खेल रहे हैं वह मिट्टी नहीं भर रहे हैं।