फर्रुखाबाद: विगत 25 मई को हुए लैपटॉप वितरण कार्यक्रम के लिये पहुंचे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के उड़नखटोले को उतारने के लिये जिस वीरेंद्र के खेत को उजाड़ कर र्इंटे बिछायी गयी थीं, डीएम के कारिंदे आखिर उस गरीब का मुआवजा भी डकार गये। बेचारा वीरेंद्र खेत में इंटों के निशान और तोरई की उजड़ी हुई फसल को देखकर सिर पकड़े बैठा है। उसे तो बेचारे को यह भी नहीं मालूम की शिकायत भी करे तो किसकी और किससे। ‘………….कारवां गुजर गया, हम गुबार देखते रहे। ‘
विदित है कि विगत 25 मई को मुख्यमंत्री ने फर्रुखाबाद में छात्रों को लैपटॉप वितरण के कार्यक्रम में भाग लिया था। कार्यक्रम से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सभा और हैलीपैड के लिये स्थल चयन के लिये प्रशासन के पसीने छूटे हुए थे। क्रिश्चियन कालेज ग्राउंड के पीछे जिस किसान वीरेंद्र का तोरई का खेत था, उसको जैसे तैसे प्रशासन ने यह आश्वासन देकर राजी किया था कि मुआवजे के लिये कोई फंड तो है नहीं इस लिये हेलीपैड व सड़क के लिये जो ईंटे बिछायी जायेंगी वह कार्यक्रम समाप्त होने के बाद खेत मालिक वीरेद्र को ही मिल जायेगी। कार्यक्रम समाप्त हो गया। अखिलेश यादव बहुत सारी तालियां बटोर कर अपने उड़न खटोले पर बैठ कर वापस लखनऊ के लिये उड़ गये। अपने अधीनस्थ नकारा अफसरों के चक्कर में बेचारे डीएम साहब मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में अव्यवस्था के आरोप में जवाबतलब करा बैठे। परंतु इसमें बेचारे गरीब वीरेंद्र का क्या कसूर। मगर इसी आपाधापी का फायदा उठा कर डीएम के कारिंदों ने बीरेंद्र को खट्टी-मीठी गोलियों के दम पर मात्र 8 हजार रुपये नगद दिये और फिर बाद में समझ लेने का झांसा देकर चलते बने। लगभग 50 हजार की फसल के नुकसान के बदले मात्र 8 हजार रुपये लिये वीरेंद्र सिर पकड़े बैठा है। विडंबना तो यह है कि गरीब वीरेंद्र तो यह भी नहीं जानता कि आखिर शिकायत किससे की जाये और किसकी की जाये।