ग्रीश बाबू: लोहिया के साथी ने जीवन भर मुलायम से निभायी दोस्‍ती, सपाइयों ने किया सिर्फ शोषण

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फर्रुखाबाद: लोहिया के साथी रहे ग्रीश बाबू आज 95 वर्ष की आयु में इस मतलबी दुनिया से चले गये। बिना किसी राजनैतिक महत्‍वाकांक्षा के जीवन भर उन्‍होंने मुलायम से दोस्‍ती का फर्ज निभाया, और कभी कोई फायदा नहीं लिया। परंतु स्‍थानीय सपाइयों ने उनका जमकर शोषण किया, और मनमौजी ग्रीश बाबू ने जानते-बूझते भी कभी उफ तक न की।

Grish C Katyarबाबू ग्रीश चंद्र कटियार कभी शहर के जाने माने रईसों में गिने जाते थे। बड़े जमींदार थे। फतेहगढ़ स्‍थित जिला मुख्‍यालय पर उनकी काफी बड़ी और पुरानी कोठी आज भी उनकी पुरानी जमींदाराना हैसियत की गवाह है। पेशे से वकील रहे ग्रीश बाबू शुरू से ही समाजवादी विचारधारा के आदमी थे। एक जमाने में जब लोहिया जी यहां से चुनाव लड़ने आये थे, तो इन्‍हीं ग्रीश बाबू कटियार की कोठी पर ठहरे थे। मिजाज से फक्‍कड़ लोहिया जी अपने साथ केवल एक छोटा ब्रीफकेस लेकर आये थे। नहाने के बाद जब नामांकन के लिये निकलने से पूर्व लोहिया जी को पुराने कुर्ता-पजामा में देख कर वह बिफर गये। आनन-फानन में उन्‍होंने गांधी आश्रम खुलवाकर नया कुर्ता-पजामा मंगवाया। तब कहीं जाकर वह लोहिया जी के साथ नामांकन-पत्र दाखिल करने कलक्‍ट्रेट गये। यह तो बानगी भर है। बाद में चुनाव प्रचार में भी उन्‍होने दिल खोलकर लोहिया जी का साथ दिया।

बड़ी बात यह है कि जीवन भर उन्‍होंने स्‍वयं अपने या अपने परिवार के लिये कभी कोई राजनैतिक महत्‍वाकांक्षा नहीं पाली। मुलायम सिंह यादव से दोस्‍ती उनकी बहुत पुरानी रही। मुलायम ने भी ग्रीश बाबू के सम्‍मान में कभी कोई कमी नहीं आने दी। मजाल है कि मुलायम का मंच हो और ग्रीश बाबू उस पर मौजूद न हों। कभी देर हो गयी तो मुलायम ने मंच से ही ग्रीश बाबू के विषय में जानकारी शुरू कर दी। लखनऊ हो, दिल्‍ली हो या इटावा-सैफई, ग्रीश बाबू के आने की सूचना मुलायम को मिले तो मजाल है कि उनको अंदर बुलाने में देर लग जाये।

मुलायम से उनकी इसी नजदीकी का स्‍थानीय सपाई और छुटभैये नेता जमकर शोषण करते रहे। मिजाज से इतने फक्‍कड़ कि दिल में आ जाये तो इस उम्र में भी मोटरसाइकिल से लखनऊ जाने के लिये तैयार हो जाते थे। परंतु उन्‍होंने कभी अपने या अपने परिवार के लिये सत्‍ता का कोई लाभ नहीं लिया।