खूब लूटा खजाना! नसीमुद्दीन व कुशवाहा सहित 200 अन्य के खिलाफ स्मारक में घोटाले के मिले साक्ष्य

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naseemuddeen siddiqueलखनऊ : उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार के दौरान अंबेडकर स्मारकों के निर्माण में हुए घोटाले की जाँच लोकायुक्त एन के मेहरोत्रा ने पूरी कर ली है | लोकायुक्त को अपनी जाँच के दौरान तक़रीबन 200 लोगों के इस घोटाले में शामिल होने के सुबूत मिले हैं। मिली जानकारी के मुताबिक लोकायुक्त जाँच की रिपोर्ट बना चुके हैं और सोमवार को अपनी संस्तुतियां मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेज देंगे।

लोकायुक्त जाँच में सामने आया है कि इस घोटाले में माया के दो करीबी मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा और 3 बसपा विधायकों सहित लगभग 200 अन्य शामिल रहे हैं। इनमें एलडीए, निर्माण एजेंसियों के इंजीनियर, खनन अधिकारी सहित वकील और कंसोर्टियम के लोग शामिल हैं| वहीँ हैरत कि बात ये है कि किसी आईएएस अधिकारी की गर्दन इसमें नहीं फंसी है।
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गौरतलब है कि जब मायावती एक बार फिर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई तब से 2011 के बीच कई अंबेडकर स्मारकों व पार्कों का पुनर्निर्माण कार्य आरंभ हुआ| इस पुनर्निमाण कार्य में जमकर घोटाला हुआ| जो परत दर परत सामने आ रहे हैं। इनसे जुडी एक और जाँच जल्द ही शुरू होने वाली है। इस बार भूतत्व और खनिकर्म विभाग ने लखनऊ नोयडा में बने स्मारकों की मिट्टी, पत्थर, ताज एक्सप्रेस वे,बुद्ध सर्किट में बालू खनन की रॉयलटी चोरी की जाँच का आदेश दिया है।

उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार पहले से ही लोकायुक्त द्वारा इन स्मारकों की जाँच करवा रही है। विभाग के निदेशक चक्रापाणि ने सम्बंधित जिलाधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा है कि वो जरुरत होने पर पुलिस दल भी जाँच अधिकारियों को उपलब्ध करवाएं।

अंबेडकर स्मारकों के निर्माण में अरबों का घोटाला

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए राजधानी और नोएडा में अंबेडकर स्मारकों और पार्कों का निर्माण आरंभ हुआ| इनको दलित तीर्थ स्थलों के नाम से प्रचारित किया गया| देश भर के दलित इनकी एक झलक पाने को लखनऊ और नोएडा आते रहे है| वर्ष 2007 में जब मायावती एक बार फिर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई तब से 2011 के बीच कई अंबेडकर स्मारकों व पार्कों का पुनर्निर्माण कार्य आरंभ हुआ| इसी पुनर्निमाण कार्य में जमकर घोटाला हुआ| स्मारक निर्माण घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू का कहना है कि माया राज में अंबेडकर स्मारकों के निर्माण में तक़रीबन 14.10 अरब का घोटाला हुआ है। इस बड़ी रकम को नेताओं, अधिकारियों और ठेकेदारों ने आपस में बाँट लिया है।
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जाँच एजेंसी ने इस घोटाले का जिम्मेदार नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबूसिंह कुशवाहा के साथ ही पीडब्लूडी, आरएनएन सहित कुशवाहा के नियंत्रण वाले विभाग के इंजीनियरों को माना है। ईओडब्ल्यू ने लोकायुक्त एन.के मल्होत्रा को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा है की इस निर्माण में 14.10 अरब का घोटाला हुआ।

स्मारकों के निर्माण में हुए धांधली का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है क़ी अधिकारियों ने सरकारी धन की लुट के लिए, ऐसा रास्ता निकाला जो सिर्फ यही अधिकारी सोच सकते थे| वो था पत्थरो को तराशने के काम का जिस बलुवा पत्थर को मिर्जापुर और चुनार से खरीद कर सीधे लखनऊ पहुचाया जा सकता था वो पत्थर सीधे राजस्थान के बयाना भेजे गए थे, तराशे जाने के लिए, उसके बाद उन पत्थरो को लखनऊ लाया गया | अगर बयाना भेजे गए पत्थरो को मिर्जापुर में ही तराशा गया होता तो ढुलाई में खर्च हुए 15.60 करोड़ रुपये बचा लिए गए होते| स्मारकों के लिए लाये गए पत्थर और अन्य साजो सामान भी ऊँची दरों पर ख़रीदा गया| रिपोर्ट में कहा गया की इस खरीद पर बाजार दर से 34 प्रतिशत अधिक दाम चुकाया गया था| इससे सरकार को 14.10 अरब का नुकसान हुआ और ये पैसा घोटालेबाजों की जेब में चला गया|

जाँच में ये भी सामने आया है कि पत्थरों की खरीद का अनुमोदन देने में नसीमुद्दीन, कुशवाहा, पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन चीफ इंजीनियर टी राम, आरएनएन के तत्कालीन एमडी व परियोजना अधिकारियों, भूतत्व खनिकर्म निदेशालय के संयुक्त निदेशक ने मुख्य भूमिका अदा की।

वहीँ बहुजन समाज पार्टी में कद्दावर मंत्री रहे और वर्त्तमान में गाजियाबाद की डासना जेल में बंद बाबूसिंह कुशवाहा ने उत्तर प्रदेश में अंबेडकर स्मारकों के निर्माण में हुए करोड़ों के घोटाले के लिए पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी को जिम्मेदार बताया। इस घोटाले की जाँच ईओडब्ल्यू कर रही है| जाँच अधिकारियों को दिए अपने बयान में पूर्व मंत्री ने कहा है स्मारकों के निर्माण से संबंधित सारे फैसले ‘उच्च स्तर’ और निर्माणदायी संस्था के मंत्री ने ही किए थे। कुशवाहा का यह बयान ईओडब्ल्यू ने अपनी जाँच रिपोर्ट के साथ लोकायुक्त एन के मेहरोत्रा को सौंप दिया है। फिलहाल लोकायुक्त रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं| वर्त्तमान में कुशवाहा प्रदेश में हुए एनआरएचएम घोटाले के आरोप में जेल में हैं|

लोकायुक्त के अनुसार रिपोर्ट के साथ साक्ष्य के रूप में दस्तावेज भी हैं अतः इसके अध्ययन में काफी समय लगेगा। लोकायुक्त के मुताबिक ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट में पूर्व मंत्री बाबूसिंह का बयान भी काफी महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि सवाल जवाब के दौरान कुशवाहा ने जाँच अधिकारियों के सामने कहा कि स्मारकों के लिए पत्थरों का चयन नसीमुद्दीन की देखरेख में किया गया और पर्यवेक्षण भी उन्हीं का था। जहां तक पत्थरों के मूल्य का प्रश्न है तो इसका निर्धारण पीडब्लूडी ने किया था, जिसके मंत्री नसीमुद्दीन थे। हाथी और मूर्तियां लगाने का निर्णय भी नसीमुद्दीन का ही था।