महिला जासूस ने लिव-इन पार्टनर इनकाउंटा-स्‍पेशलिस्‍ट का मर्डर कर जान दी

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नई दिल्ली:  गुड़गांव में लिव-इन रिलेशनशिप में रही महिला जासूस ने दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के सीनियर इंस्पेक्टर को गोली मारकर खुद भी जान दे दी। पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में ले लिया है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि महिला ने पहले इंस्पेक्टर को गोली मारी और फिर खुदकुशी की। उसने ऐसा क्यों किया, इसका पता नहीं चल पाया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

1जानकारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल में इंस्पेक्टर बद्रीश दत्त और दिल्ली में डिटेक्टिव एजेंसी चलाने वाली गीता शर्मा कुछ अरसे से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे थे। बद्रीश दत्त फरीदाबाद, जबकि गीता शर्मा मुंबई की हैं। शनिवार सुबह गुड़गांव के आरडी सिटी स्थित गीता के फ्लैट में दोनों के शव मिलने से सनसनी फैल गई। दोनों की कनपटी पर गोलियां लगी हुई थीं और पूरे कमरे में खून फैला हुआ था। क्राइम सीन के आधार पर पुलिस मान रही है कि महिला ने पहले इंस्पेक्टर को गोली मारी और फिर खुद भी जान दे दी। हालांकि पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है। पहले किसने किसको गोली मारी, यह जानने के लिए करनाल से फरेंसिक एक्सपर्ट्स की टीम बुलाई गई है।

इंस्पेक्टर बद्रीश दत्त पिछले एक दशक से स्पेशल सेल में काम कर रहे थे। दिल्ली में कई अहम जिम्मेदारी निभा चुके हैं। बद्रीश दत्‍त दिल्‍ली पुलिस के 1991 बैच के अफसर थे। जिस टीम के वह सदस्‍य थे, उसने कई खूंखार आतंकवादियों और गैंगस्‍टर्स को एनकांउटर में मारा। बद्रीश दिल्‍ली पुलिस के तेजतर्रार एसीपी राजबीर सिंह और बाटला हाउस एनकाउंटर में शहीद हुए इंस्‍पेक्‍टर मोहन चंद शर्मा की दमदार टीम के सदस्‍य रहे। उन्‍हें फोन इंटरसेप्‍शन का मास्‍टर माना जाता था। वे सेल के एक ऐसे तेजतर्रार अधिकारी थे, जो फोन इंटरसेप्‍ट कर बड़े-बड़े आतंकियों और गैंगस्‍टर्स को खोज निकालते थे। माना जाता है कि इसी काम के सिलसिले में जासूसी की एजेंसी चलाने वाली गीता उनके संपर्क में आई और बाद में दोनों की करीबी बढ़ गईगी।

अपनी महारत चलते उनकी टीम ने कई बड़े आतंकियों और अपराधियों को उन्‍होनें जिंदा पकड़ने में भी सफलता हासिल की थी। इससे पहले एसीपी राजबीर सिंह की भी गुड़गांव के एक प्रॉपर्टी डीलर ने गोली मारकर हत्‍या कर दी थी। पहले राजबीर सिंह, फिर मोहन चंद शर्मा और अब बद्रीश दत्‍त की मौत हो जाने से दिल्‍ली पुलिस में बड़े और तेजतर्रार नेटवर्क रखने वाले बहादुर अफसरों की भारी कमी हो गई है। बद्रीश को वर्ष 2007 में वीरता के लिए पुलिस मेडल से भी नवाजा गया।