लखनऊ. समाजवादी पार्टी अब अमेरिका दौरे में सपा सरकार के मुख्यमंत्री के रुख को अल्पसंख्यकों के हित से जोड़कर उनके बीच ले जाने की तैयारी कर रही है। लखनऊ लौटते ही सीएम अखिलेश मुस्लिम उलेमाओं से इस संबंध में समर्थन हासिल कर ही चुके हैं, अब समाजवादी पार्टी इसे जन-जन तक पहुंचाने की तैयारी कर रही है। लेकिन सत्ता के गलियारे में चर्चा ये भी है कि बोस्टन की घटना और हार्वर्ड के कार्यक्रम के बॉयकॉट के कदम की उतनी चर्चा नहीं हुई, जितनी शाहरुख खान और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के मामले की हुई थी।
इसके पीछे अहम कारण ये बताया जा रहा है कि सीएम अखिलेश यादव और कैबिनेट मंत्री आजम खां कोई सरकारी मेहमान नहीं थे। मेला आयोजक के तौर पर अखिलेश को और कुंभ मेला समिति के अध्यक्ष के तौर पर वरिष्ठ मंत्री आजम खां को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साउथ एशियन इंस्टीट्यूट दो दिवसीय विचार गोष्ठी में पेपर प्रेजेंटेशन देने के लिए एक एकेडिमिशियन या एक्टिविस्ट के तौर पर बुलाया गया था। ये प्रेजेंटेशन ‘हार्वर्ड विदआउट बॉर्डर्स- मैपिंग द कुंभ मेला’ पर होना था।
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सूत्रों के अनुसार व़े कोई सरकारी मेहमान थे ही नहीं। वहीं उनके कद की तुलना एपीजे अब्दुल कलाम के कद से या शाहरुख की सेलिब्रिटी इमेज से नहीं की जा सकती। यही कारण रहा कि जब सीएम अखिलेश ने सिम्पोजियम का बॉयकॉट किया तो इसका असर अमेरिकी मीडिया पर कुछ खास नहीं पड़ा। दरअसल कुंभ मेला के दौरान इसी इंस्टीट्यूट से जुडे करीब 50 छात्रों का एक दल इलाहाबाद आया था। सूत्रों के अनुसार इनमें से कुछ की जान-पहचान यूपी के ही एक युवा मंत्री से थी।
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यूपी के एक कद्दावर ब्यूरोक्रैट की अमेरिका में रहने वाली पत्नी के प्रयासों से ही ये पूरा आयोजन ‘आर्गनाइज’ किया गया। अब सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि इस कार्यक्रम में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि एक आयोजक के तौर पर प्रेजेंटशन देनी थी, वहीं आजम खां कुंभ मेला समिति के अध्यक्ष के तौर पर प्रेजेंटेशन देने वाले थे।