गुजरात के आईआईएम ने उत्‍तर प्रदेश को लगाया लाखों का चूना

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लखनऊ: प्रधानमंत्री पद के दावेदारों की दौड़ में लगे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी भले ही गुजरात के विकास की लंबी-लंबी बाते कर रहें हो, लेकिन प्रतिष्ठित बिजनेस मैनेजमेंट भारतीय प्रबंध संस्थान आईआईएम अहमदाबाद ने यूपी सरकार को 36.75 लाख रुपए का चूना लगा दिया है।

आईआईएम के प्रोफेसर ऑफ मार्केटिंग पीयूष कुमार सिन्हा ने प्रदेश के गरीब सब्जी किसानों को फसल का लाभकारी मूल्य दिलाने के नाम पर मण्डी परिषद के साथ एक करार किया था। इस करार के तहत 200 वातानुकूलित ठेलों के माध्यम से उपभोक्ताओं को सस्ती और ताजी सब्जी उपलब्ध कराना था। आईआईएम के झांसे में फंसकर इस पायलेट प्रोजेक्ट के शुरू होने से पहले ही आला अफसरों के दबाव में मण्डी परिषद ने 36.75 लाख रुपए का भुगतान दिया। इस पायलेट प्रोजेक्ट के लिए भुगतान के बाद से आईएमआई के मार्केटिंग गुरू का कुछ अता-पता नहीं है। जहां उपभोक्ता सस्ती व ताजी सब्जी का इंतजार कर रहे हैं वहीं इस घोटाले को लेकर मण्डी परिषद ने अभी तक कोई जिम्मेदारी तय नहीं की है|

आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर पीयूष कुमार सिन्हा ने मण्डी परिषद को एक प्रस्ताव भेजा था। जिसमें प्रदेश के सब्जी उत्पादकों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य प्रदान कराने, सब्जियों के फसलोत्तर प्रबंधन न होने के कारण सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए विशिष्ट टेक्नोलॉजी से निर्मित डबल चैम्बरयुक्त ठेलों के माध्यम से ग्राहकों को ताजी और सस्ती सब्जी उपलब्ध कराना था। मण्डी परिषद ने आईआईएम अहमदाबाद के इस लोक-लुभावने झांसे में फंसकर 26 अक्टूबर 2006 को एक करार किया था। 4 सितम्बर 2008 को मण्डी परिषद बोर्ड की 129वीं बैठक ने इस पायलेट योजना को लखनऊ में लागू करने के लिए 49 लाख रुपए के भुगतान को चार चरणों में किए जाने की मंजूरी दी थी। जिसमें प्रथम चरण में परियोजना की स्वीकृत होने पर 25 फीसदी, बेस लाइन सर्वे पूर्ण होने के बाद 25 प्रतिशत, रणनीति एवं क्रियान्वयन योजना प्रस्तुत करने पर 25 प्रतिशत और पायलट आपरेशन माडल स्थापित करने पर 25 प्रतिशत का भुगतान करना था।

आईआईएम अहमदाबाद के अनुरोध पर मण्डी परिषद की 14 दिसम्बर 2009 को हुई बैठक में इस योजना के क्रियान्वयन के लिए नीड्स ग्रीन प्राईवेट लिमिटेड एजेंसी को मंजूरी दी। इसके तहत मण्डी परिषद के आला अफसरों की मिलीभगत के चलते तीन किश्तों में 36.75 लाख रुपए भुगतान कर दिया गया। इस योजना का जोर-शोर से प्रचार किया गया। तत्कालीन मुख्य सचिव नवीन चंद्र वाजपेयी ने इस पायलेट प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था। नीड्स ग्रीन ने 20 जनवरी 2011 को कुछ ठेले लेकर इस योजना की शुरूआत की थी लेकिन कुछ दिनों के बाद ही कम्पनी भाग गई। इसके साथ ही मण्डी परिषद ने इस पायलेट प्रोजेक्ट को बेहतर ढंग से संचालन के लिए दो करोड़ रुपए के संयंत्र खरीदे। कुछ समय बाद दो करोड़ के संयंत्र भी गायब हो गए| इस फर्जीवाड़े के बाद आईआईएम अहमदाबाद के बिजनेस गुरू पीयूष कुमार सिन्हा ने 7 मार्च 2011 को मण्डी परिषद को पत्र लिखकर बाकी बचे भुगतान का अनुरोध किया। जिसके बाद तत्कालीन मण्डी परिषद निदेशक राजेश कुमार सिंह ने आईआईएम अहमदाबाद को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण से अवगत कराया। साथ ही 36.75 लाख रुपए भुगतान वापस करने का अनुरोध किया गया लेकिन दो साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी आईआईएम अहमदाबाद की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है|

आईआईएम अहमदाबाद के बिजनेस गुरू पीयूष कुमार सिन्हा और नीड्स ग्रीन प्राईवेट लिमिटेड के अफसरों से सम्पर्क किए जाने पर भी प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई। अपर मण्डी परिषद निदेशक डा. राम विलास यादव ने कहा कि उन्हें इस प्रकरण के बारे में जानकारी नहीं है। जानकारी करने के बाद ही प्रतिक्रिया दी जाएगी। प्रमुख सचिव कृषि देवाशीष पाण्डा ने बताया कि जांच चल रही है| मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी|