प्रतापगढ़: नन्हे यादव की हत्या के बाद उसकी लाश को गांव में ही फूंकने की तैयारी थी। लाश को गांव लेकर पहुंचे लोगों में से कुछ ने चिता भी तैयार कराने की कोशिश शुरू कर दी थी। यह सब सत्ताधारी दल के एक एमएलसी के दबाव में हो रहा था। इसी बीच सीओ जियाउल हक मौके पर पहुंच गए थे और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने पर अड़ गए थे। गांव वालों और सीओ के बीच संघर्ष में यह मुद्दा भी अहम था।
[bannergarden id=”8″]
सीबीआई ने अपनी जांच में उस एमएलसी की महत्वपूर्ण भूमिका पाई है और उन्हें इसकी साजिश में शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी है।
सीबीआई की पड़ताल में यह पहले ही सामने आ चुका है कि जब नन्हे का कत्ल हुआ तो एमएलसी मौके पर पहुंच गए थे और लाश को गांव भिजवाने में सहयोग किया था। जब घटनास्थल पर जिले के अन्य आला अफसर भी पहुंच गए थे तब रात में करीब तीन बजे नन्हे की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका था।
[bannergarden id=”11″]
सीबीआई के सूत्र बताते हैं कि लाश के साथ वह पोस्टमार्टम हाउस तक गए थे और जब तक लाश को सीधा लेकर फूंक नहीं दिया गया तब तक वह वहीं मौजूद रहे थे। सीबीआई नन्हे की हत्या के सिलसिले में एक बार पहले भी इस राजनेता से पूछताछ कर चुकी है। अब नए तथ्य सामने आने के बाद उनसे दुबारा पूछताछ की तैयारी है। सीबीआई ने फिलहाल इस राजनेता की भूमिका का हवाला अपनी केस डायरी में दे दिया है। इसी के आधार पर इस राजनेता से दुबारा पूछताछ होनी है।
सीबीआई इस राजनेता यह जानना चाहती है कि किन कारणों से नन्हे के शव का बगैर पोस्टमार्टम कराए अंतिम संस्कार कराने की कोशिश थी। सीबीआई इस राजनेता को नन्हे के कत्ल की साजिश का आरोप भी बनाने पर विचार कर रही है।
पूर्व मंत्री के खिलाफ साक्ष्य हासिल करने में छूट रहे पसीने
प्रतापगढ में दो मार्च को सीओ जियाउल हक समेत तीन हत्याओं की जांच कर रही सीबीआई को पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह के खिलाफ ठोस साक्ष्य नहीं मिल रहे हैं। जांच एज़ेंसी उन्हें सीओ हत्याकांड से सीधे तौर पर अभी तक जोड़ नहीं सकी है। सीबीआई का कहना है कि अधिक से अधिक पूर्व मंत्री के खिलाफ आरोपियों को परामर्श देने और उन्हें बचने की सलाह आदि देने की बात ही सामने आ रही है।
पूर्व मंत्री ने नजदीकी रिश्तेदार एक एमएलसी की भूमिका जरूर सवालों के घेरे में आ रही है। अगर पूछताछ में यह एमएलसी साजिश में अपनी भूमिका या अपने रिश्तेदार पूर्व मंत्री की भूमिका के बारे में बयान देता है तब उस स्थिति में सीबीआई पूर्व मंत्री को भी आरोपी बनाने पर विचार कर सकती है| सीबीआई ने अब तक की जांच में पाया कि ग्राम प्रधान नन्हे यादव तथा सीओ जियाउल हक की हत्या हिंसा पर उतारू भीड़ ने की जबकि प्रधान के भाई सुरेश यादव की मौत उसकी ही बंदूक से हादसे में चली गोली से हुई।