वाराणसी। अमेरिका के टेक्सास में जिस समय विस्फोट के बाद लगी आग में कई जिंदगियां स्वाहा हो रही थीं (वीडियो), उसी समय वाराणसी में वेश्याएं जलती चिताओं के बीच नृत्य कर ‘जलालत की जिंदगी से मुक्ति’ पाने के लिए आराधना कर रही थीं। जलती हुई चिताएं, उनसे निकलती चिंगारियां और परिजनों को अपनों की मौत का गम। ऐसे ही नजारे में सप्तमी यानी बुधवार की रात वाराणसी की धरती पर स्थित मणिकर्णिका श्मशान घाट पर दर्जनों नगरवधुओं ने अखंड नृत्य साधना की ताकि उन्हें अगले जन्म में तन ना बेचना पड़े। उनकी यह साधना पूरी रात चली और वे पूरी रात थिरकती रहीं।
मणिकर्णिका श्मशान घाट स्थित मशान बाबा मंदिर में साधना के लिए वाराणसी के अलावा चंदौली, मिर्जापुर, मुंबई आदि शहरों से नगरवधुएं आई थीं। उन्होंने सबसे पहले मंदिर में श्मशान नाथ बाबा का श्रृंगार किया। फिर चिताओं के पास सजी संगीत की महफिल में पूरी रात थिरकती रहीं।
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नगरवधू कमला (बदला हुआ नाम ) ने बताया कि यह जलालत भरा जीवन है। जब से आँखे खोली और बड़ी हुई, तभी से सौदा हो रहा है। मशान नाथ बाबा से प्रार्थना है कि अगला जीवन ऐसा न मिले।
नगरवधू निम्मी (बदला हुआ नाम ) ने बताया कि यह जीवन नरक से भी बदतर है। बच्चों का भविष्य भी बेकार है। हम जिस समाज से हैं, उन्हें कोई नहीं स्वीकारता। सब केवल तन की पूजा करते हैं, मन की नहीं। सारी रात नृत्य करने का सिर्फ एक ही मकसद है, महादेव हमारी फरियाद स्वीकार कर लें और अगला जन्म नगरवधू का नहीं मिले।
कार्यक्रम के आयोजक गुलशन कपूर ने बताया कि इस परंपरा को अकबर के जमाने में राजा मान सिंह ने शुरू किया था। 16वी शताब्दी में राजा मान सिंह ने इस मशान नाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। उस समय परम्परा थी कि जब भी मंदिर निर्माण होता था, उसके बाद वहां भजन-कीर्तन का आयोजन होता था। लेकिन यहां, श्मशान होने की वजह से कोई कलाकर आने को तैयार नहीं हुआ।
राजा की ओर से नगरवधुओं को निमंत्रण भेजा गया। उन्होंने इसे सहर्ष स्वीकार किया। वे पूरी रात बाबा के दरबार में नृत्य करती रहीं और मन्नते मांगती रहीं कि उनका अगला जन्म मुक्ति का हो और उनको तन ना बेचना पड़े। कार्यक्रम के महामंत्री विजय शंकर पाण्डेय ने बताया कि यहां साधना करने के लिए बनारस के अलावा चंदौली, मिर्जापुर, बनारस और मुंबई से नगरवधुएं आयी हैं। कार्यक्रम के महामंत्री विजय शंकर पाण्डेय ने बताया कि यहां साधना करने के लिए बनारस के अलावा चंदौली, मिर्जापुर, बनारस और मुंबई से नगरवधुएं आयी हैं।
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