लखनऊ : आखिर ऐसा क्या हुआ कि आठ घंटे बाद ही सपा नेतृत्व को अपने सभी युवा संगठनों को फिर से ‘सस्पेंड’ करना पड़ गया है? खुद सपा के अंदर ही तमाम नेता इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं और कयासबाजी का दौर जारी है। पार्टी प्रवक्ता भी मीडिया को इसकी कोई वजह बता नहीं पाए। सूत्रों का कहना है कि कुछ पदाधिकारियों को लेकर पार्टी में शीर्ष स्तर पर ही मतभेद है और उसी वजह से आठ घंटे बाद ही पार्टी को अपना फैसला बदलना पड़ा।
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इस वक्त पार्टी के सभी युवा संगठन -युवजन सभा, छात्रसभा, लोहिया वाहिनी और मुलायम सिंह यादव यूथ बिग्रेड भंग चल रहे हैं। भंग भी इसी वजह से किए गए थे कि कुछ पदाधिकारियों से पार्टी के एक बड़े नेता खासे नाराज थे। बुधवार दोपहर युवा संगठनों की बैठक में सभी पूर्ववर्ती प्रदेश अध्यक्षों को उनकी पूरी कार्यकारिणी के साथ बहाल कर दिया गया। पार्टी ने मीडिया को इसकी अधिकृत रूप से जानकारी देने के लिए मीडिया को प्रेस नोट जारी कर दिया लेकिन रात साढ़े नौ बजते-बजते पार्टी को अपने इस फैसले को पलट देना पड़ा।
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पार्टी प्रवक्ता की तरफ से बताया गया कि जिला व शहर अध्यक्षों को तो बहाल कर दिया गया है लेकिन राज्य कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी भंग ही मानी जाएगी। सिर्फ इतना ही नहीं, युवा संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए अब अधिकतम आयु सीमा तय कर दी गई। निर्णय के अनुसार 35 वर्ष से अधिक के किसी नेता को किसी भी युवा प्रकोष्ठ का न तो प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा और न ही राष्ट्रीय अध्यक्ष।