जेएनआई खास : एंटीबायटिक के मनमाने उपयोग से महामारी का खतरा

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FARRUKHABAD : विभिन्न प्रकार के संक्रमणों के इलाज के लिए यूं तो चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक रोज नित नये एंटीवायोटिक दवाओं की खोज कर रहे हैं। परन्तु अप्रशिक्षित और झोलाछापों द्वारा इनके मनमाने उपयोग या दुरुपयोग के चलते ये रामबाण दवायें भी अनाड़ी के हाथ की बंदूक होकर रह गयी हैं। एंटी वायटिक दवाओं के मनमाने दुरुपयोग के चलते विभिन्न कीटाणुओं में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने का खतरा सदैव बना रहता है और मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट जीवाणुओं के उत्पन्न होने की संभावना बनती है। चिकित्सा विभाग की लापरवाही के चलते झोलाछाप डाक्टरों की एक लम्बी फौज के अलावा जनपद में कई ऐसे नर्सिंगहोम भी संचालित हैं जिनमें प्रशिक्षित स्टाफ के नाम पर फार्मासिस्ट तो दूर अपने डाक्टर तक नहीं हैं। होटल और डार्मेटरी की तरह संचालित इन नर्सिंगहोमों की स्थिति दूर दराज से आने वाले अनपढ़ ग्रामीणों के लिए बूचढ़खाने से ज्यादा नहीं है। लोहिया अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के चलते ये बूचड़खाने दिन दूने रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं।

जनपद में कुकुरमुत्ते से पनप रहे झोलाछाप डाक्टरों व नर्सिंगहोमों में बगैर अनुभव के चिकित्सकों द्वारा एंटीवायोटिक दवाओं का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। जो भविष्य में एक बहुत बड़े खतरे को जन्म दे सकता है। अनुभव व डिग्रीहीन चिकित्सकों द्वारा एंटीवायोटिक देने के बाद उसका असर नहीं हो रहा है। जिससे कीटाणुओं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है। स्वास्थ्य विभाग अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर बैठा हुआ है और आम जनता के जीवन से झोलाछाप डाक्टरों और बगैर चिकित्सकों द्वारा जमकर धन उगाही का जरिया बना लिया गया है। जनपद में दर्जनों ऐसे नर्सिंगहोम हैं जो नर्सिंगहोम न होकर वल्कि एक किराये के होटल जैसा कार्य कर रहे हैं। मरीज के भर्ती होने के बाद उसे जो कुछ चाहिए वह पैसा देकर मंगवा सकता है। नर्स से लेकर डाक्टर तक हर चीज पैसे देकर उपलब्ध करायी जाती है। जबकि कानूनन ऐसा नहीं होना चाहिए।

अस्पताल मे डिग्रीधारक चिकित्सक का होना अनिवार्य है या तो वह अस्पताल का स्वयं मालिक हो या अस्पताल में नौकरी करता हो। लेकिन जनपद में ज्यादातर ऐसे चिकित्सालय हैं जिन्हें महज एक ही डाक्टर के द्वारा संचालित किया जाता है। चिकित्सकों के पास कोई अन्य डिग्री है और अस्पताल के बोर्ड पर किसी अन्य डिग्री को अंकित कराकर धड़ल्ले से मरीजों की जेबों को काटा जा रहा है। घुमा फिराकर प्रश्न आम आदमी के जीवन से जुड़ा है। मुद्दा है तो बस एंटीवायटिक दवाओं के गलत इस्तेमाल का। जिससे भविष्य में अगर इसी तरह चलता रहा तो आने वाले दिनों में बहुत बड़ा खतरा इंसान के जीवन पर मंडरा सकता है।
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इस सम्बंध में डाक्टर के एम द्विवेदी से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि एंटी वायोटिक का इस्तेमाल गलत तरीके से जनपद में हो रहा है। एंटीवायटिक फेल हो रहीं हैं जिसके परिणामस्वरूप भविष्य में प्लेग, निमोनिया, डायफायड, टीवी, चेचक जैसी खतरनाक बीमारियां होने का खतरा बढ़ सकता है और सैकड़ों की संख्या में जाने भी जा सकतीं हैं। स्वास्थ्य विभाग को इस पर विचार करना चाहिए।

इस सम्बंध में सीएमओ डा राकेश कुमार ने जेएनआई को बताया कि जनपद में चल रहे नर्सिंगहोम्स की जांच डिप्टी सीएमओ राजवीर सिंह को दी गयी है। जांच पूरी होने के कगार पर है।  वहीं एंटीवायोटिक दवाइयों के गलत इस्तेमाल करने वाले चिकित्सकों व नर्सिंगहोम संचालकों के खिलाफ दोषी पाये जाने पर सख्त कानूनी कार्यवाही की जायेगी।