आडवाणी के विरुद्ध अपील में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

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दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विवादित ढांचा ढहाने के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ अपील करने में हुए विलम्ब को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जिसमें भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी एवं 20 अन्य लोगों को बरी कर दिया गया था। जस्टिस एच एल दत्तु की खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिया की दो हफ्तों के अंदर केन्द्र सरकार के वरिष्ठ विधि अधिकारी की ओर से इस मामले में हलफनामा दाखिल किया जाए कि किस कारण अपील दायर करने में 167 दिन की देरी हुई।

Supreme Courtइससे पहले,कोर्ट के पहले के आदेश की पालना करते हुए केन्द्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने मंगलवार को कोर्ट में मामले में अपील दायर करने में हुई देरी को लेकर विवरण पेश किया। अपने जवाब में एजेंसी ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील का मसौदा तैयार की प्रक्रिया पहले अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल और फिर मंजूरी एवं राय के लिए सोलिसिटर जनरल के पास लंबित थी।

कोर्ट सीबीआई की उस अपील की सुनवाई कर रहा था जिसमें सीबीआई की विशेष अदालत और इलाहाबाद हाई द्वारा लाल कृष्ण आडवाणी,विनय कटियार,कल्याण सिंह,उमा भारती और मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ साजिश के आरोप खारिज कर दिए थे। हाई कोर्ट ने 21 मई 2010 के अपने आदेश में साजिश के आरोप को खारिज कर दिया था। इसपर खंडपीठ ने कहा कि देरी सोलिसिटर जनरल की तरफ से हुई। इसलिए संबंधित अधिकारी की ओर से हलफनामा पेश किए जाने के बाद ही पता चलेगा कि अपील दायर करने में देरी क्यों हुई। जांच एजेंसी को दो हफ्ते का समय देते हुए कोर्ट ने कहा कि आपके लिए बेहतर होगा की आप इस मामले में हलफनामा दाखिल करें। कोर्ट ने अपने आदेश में यह नहीं कहा कि कौनसा अधिकारी हलफनामा दायर करेगा,लेकिन कहा कि यह किसी वरिष्ठ विधि अधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए।