लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री रामअचल राजभर के खिलाफ सरकार ने सर्तकता जांच के आदेश दिए हैं। गुजरे 14 मार्च को लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने राजभर के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति की दो शिकायतों को प्रथम दृष्टया सही करार देते हुए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कराकर आपराधिक विवेचना सीबीआइ, भ्रष्टाचार निवारण संगठन या सर्तकता अधिष्ठान से कराने की सिफारिश की थी।
लोकायुक्त की सिफारिश का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सतर्कता अधिष्ठान को जांच के आदेश दिए। सूत्रों के मुताबिक सोमवार को राजभर के खिलाफ जांच पंजीकृत कर ली गयी है। अब सतर्कता अधिष्ठान उनकी सम्पत्तियों की छानबीन शुरू करेगा। इसके पहले लोकायुक्त ने जांच में पाया कि मंत्री के रूप में पिछले पांच साल में उनकी आमदनी तो दो करोड़ 67 लाख रुपये ही रही, लेकिन सम्पत्तियों में उनका निवेश आठ करोड़ 46 लाख रुपये से अधिक रहा। वह यह बता नहीं पाए कि यह पैसा कहां से आया। उनकी पास जो सम्पत्ति निकली है, वह ज्यादातर उनके मंत्री बनने के बाद की है। उनके पिता के नाम पर बने ट्रस्ट में भी दान करने वाले फर्जी पाए गए हैं।
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राम अचल राजभर अम्बेडकरनगर जिले के रहने वाले हैं। उनके खिलाफ आनन्द कुमार द्विवेदी और राम अर्ज वर्मा ने अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई थी। लोकायुक्त ने अपने फैसले में लिखा है, ”दोनों परिवादों में एकत्र की गई साक्ष्य यह प्रदर्शित करती है कि आरोपी रामअचल राजभर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (2) में दुराचरण के दोषी हैं। यह दुराचरण अपराध की श्रेणी में आता है, जिसके लिए लोक आयुक्त को अभियोजन चलाए जाने का अधिकार न होने के कारण इस आपराधिक कृत्य की जांच किसी आपराधिक विवेचना से संबंधित एजेन्सी के माध्यम से कराया जाना उपयुक्त होगा।”
लोकायुक्त की रिपोर्ट का निष्कर्ष-
– आनन्द कुमार द्विवेदी की शिकायत में राम अचल राजभर की 15 सम्पत्तियों का विवरण है। यह सभी सम्पत्तियां राम अचल राजभर, उनके पुत्र और भाईयों के नाम हैं। इनमें से दस सम्पत्तियां जो 2007 से 2010 के बीच खरीदी गई हैं, जब वह सरकार में थे। जिसका बाजारू मूल्य एक करोड़ से अधिक है। राम अर्ज की शिकायत में उनकी 49 सम्पत्तियों का विवरण है, इनमें 48 सम्पत्तियां उनके परिवहन मंत्री बनने के दौरान क्रय की गई हैं जिनका बाजारू मूल्य लगभग सवा नौ करोड़ रुपये है।
– राम अचल राजभर ने अपने मंत्री रहने की अवधि के दौरान आयकर विवरणी में अपनी और अपने परिवार की कुल आय दो करोड़ 67 करोड़ और कुल व्यय तीन करोड़ रुपये दर्शाया है। लोकायुक्त के समक्ष राम अचल राजभर ने जो विवरण उपलब्ध कराया है, उसके अनुसार आय तो दो करोड़ 67 करोड़ निकलती है लेकिन सम्पत्तियों में निवेश आठ करोड़ 46 लाख रुपये से अधिक का है। इस तरह की आय की तुलना में निवेश पांच करोड़ पांच करोड़ 79 लाख अधिक निकलता है। रामअचल राजभर अपनी आय का स्रोत बता नहीं सके।
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– आरोपी मंत्री के पिता रामअवध राजभर और रामअवध फाउंडेशन ट्रस्ट की आय व्यय का लेखाजोखा शामिल नहीं है। रामअवध फाउंडेशन ट्रस्ट आरोपी लोकसेवक रामअचल राजभर ने मंत्री बनने के बाद पंजीकृत करायी है। राम अवध फाउंडेशन ट्रस्ट की आय संदेह जनक है। इस ट्रस्ट की आय के रूप में 27 लाख 91 हजार 200 रुपये का अभिलेखों में मिलता है परन्तु टस्ट्र के दानकर्ता फर्जी हैं।
-परिवहन मंत्री के रूप में उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम पर मंत्री का कोई सीधा संबंध नहीं होता फिर भी अपने पद का दुरुपयोग करके बड़ी बड़ी कम्पनियों को टेंडर के माध्यम से काम दिलाया।