लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती मायावती सरकार में कृषि मंत्री रहे चौधरी लक्ष्मी नारायण की मुश्किलें आर्थिक अपराध शाखा ने बढ़ा दी हैं| ईओडब्ल्यू के जाँच अधिकारी लखनऊ के नबी पनाह, माल की एक एनजीओ के एकाउंट का लेखा-जोखा तलाश रह हैं, जिसको पूर्व मंत्री ने मथुरा में मनरेगा का काम दिलवाया था। चौधरी लक्ष्मी नारायण के खिलाफ मथुरा के रामवीर सिंह ने शिकायत की थी। मथुरा में मनरेगा घोटाले की जाँच ईओडब्ल्यू कर रही है। वर्ष 2009-2010 के दौरान कार्यदायी संस्था के जरिये मनरेगा योजना में करोड़ों का घपला किया गया था। ईओडब्ल्यू ने राज्य सरकार से मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी। इसमें पूर्व मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण के साथ ही जिले के तत्कालीन डीएम व सीडीओ का नाम भी शामिल है।
जाँच अधिकारियों बताते हैं कि लखनऊ के माल, नबी पनाह की एक एनजीओ को पूर्व मंत्री ने अपने फायदे के लिए मथुरा में मनरेगा का काम दे दिया। इसके बाद वहां करोड़ों का घोटाला हुआ। मंत्री का नाम सामने आने के बाद बसपा के कई सांसदों-विधायकों ने इसी एनजीओ को अपनी निधि से काम कराने की जिम्मेदारी सौंप दी थी। एनजीओ के कर्ताधर्ताओं ने यहाँ भी जमकर घपला किया| फिलहाल इस निधि घोटाले की जाँच नहीं हो रही है| जाँच एजेंसी इस एनजीओ के संचालकों के एकाउंट खंगालने वाली है।
मंत्री पर कई संगीन आरोप हैं :-
कृषि विभाग में होने वाली नियुक्ति में गड़बड़ी, मथुरा के ईदगाह की 27 एकड़ भूमि पर कब्जा, जिला पंचायत में अपने भतीजे को नियुक्ति कराने,ढैंचा बीज की खरीद में 60 लाख रुपये लेने, जिलों को सूखा राहत के मद में वर्ष 2007 से 2009 के दरम्यान दी गई धनराशि में गड़बड़ी करने की शिकायत की गई है।
वहीँ, इसके पहले कृषि मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण के रिश्तेदार पर तेल के खेल में शामिल होने का आरोप लगा था| तेल के इस खेल में कृषि मंत्री के भाई लेखराज चौधरी “एमएलसी” के समधी सरमन सिंह का नाम सामने आया था| इससे पहले भी कृषि मंत्री लक्ष्मी नारायण का नाम मथुरा में मारे गए पुलिस मुखबिर संजीव हत्याकांड से जुड़ चुका है| इस मामले को रसूखदार लोगों के दबाव में आकर दबा दिया गया|
पुलिस व प्रशासन की संयुक्त टीम ने वर्ष 2011 में उनके गोदाम पर यह छापा मारा| इस छापे के दौरान बड़ी मात्रा में तेल, तेल से भरे दो टैंकर, गोदाम में बने चार अंडर ग्राउंड टैंक, तेल खींचने को लगे दो पंप सेंट, एक टै्रैक्टर ड्रम व अन्य उपकरण बरामद किए गये| देर रात एसडीएम छाता राजेश प्रजापति, एसपी देहात ह्रदयेश कुमार, सीओ छाता इकबाल सिंह समेत कई अधिकारी छाता कोतवाली पुलिस और एसओजी के साथ गोदाम में छानबीन में जुटे रहे|
तेल के इस काले कारोबार से जुड़े संजीव हत्याकांड में कृषि मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण का नाम जुड़ा होने के चलते पुलिस ने शव बरामद करने के बाद तीन घंटे के भीतर ही संजीव का पोस्टमार्टम करवा कर खानापूर्ति करते हुए हत्या को खुदकुशी घोषित कर दिया था| वहीँ दूसरी तरफ, मृतक संजीव के भाई अनिल चौधरी ने आरोप लगाया था कि करीब चार-पांच दिन पहले संजीव के फ़ोन पर किसी ने धमकी दी थी, क्योकि संजीव पुलिस का मुखबिर था और काले कारनामों की जानकारी देने से वो सफेदपोशों के आंखों की किरकिरी बन चुका था| जिसकी वजह से संजीव की हत्या कर लाश को रेलवे ट्रैक पर फेकवा दिया गया|
इस हत्याकांड के समय प्रकाश में आये मंत्री के रिश्तेदारों के नाम एक बार सामने आ गए है| इससे मंत्री के नाम शामिल अपराधों की लिस्ट और लम्बी हो गयी है| डीएम एनजी रविकुमार व एसएसपी प्रेम गौतम ने गोपनीय सूचनाओं के आधार पर एक संयुक्त टीम का गठन किया| टीम ने इस गोरखधंधे में लगे सरमन सिंह के हाइवे स्थित गिन्नी फैक्ट्री के निकट धर्म पेट्रोलियम के गोदाम पर छापा मारा| संयुक्त टीम की तरफ से की गई इस कार्रवाई में बड़ी मात्रा में तेल और तेल से भरे दो टैंकर जब्त किये गये| छापे के दौरान एक टैंकर चालक, सहित चार लोगों को पकड़ लिया गया है|
अधिकारियों ने रात्रि को जिला पूर्ति विभाग की टीम को मौके पर बुला लिया। टीम की ओर से सैंपल भी लिए गये| यह पहली बार नहीं है जब छाता में इस तरह का तेल का खेल सामने आया हो| इससे पहले भी काले तेल के दर्जनों गोदामों के संचालित होने की बात सामने आ चुकी है| दो महीने पहले तत्कालीन एसएसपी भानु भास्कर ने अवैध तेल के 22 गोदाम सील कराए थे और यह गोदाम भी उन्ही गोदामों में से एक है| इन सभी संचालकों के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज किये गये थे|
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उल्लेखनीय है कि यूपी सरकार के कृषि मंत्री लक्ष्मी नारायण का दामन विवादों से भरा हुआ है| कृषि मंत्री पर आरोप है कि वह पुलिस मुखबिर संजीव हत्याकांड में शामिल हैं| संजीव काले तेल के कारोबार में लगे लोगों के बारे में मुखबिरी करता था और पुलिस तक इसकी सूचना पंहुचता था| इस गोरखधंधे में कृषि मंत्री के रिश्तेदार भी शामिल थे जिसके चलते संजीव की हत्या करने के बाद उसे रेल की पटरी पर फेंक दिया था| राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप राखी है|
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वैसे यह एक मामला नहीं है जिसमें मंत्री जी ने अपने हाथ डाले हुए हैं, इससे पहले भी मंत्री जी का नाम केंद्र सरकार से किसानों की मदद के लिए आयीं कई स्ववित्तपोषित योजनाओं में करोड़ों के वारे न्यारे करने में भी सामने आ चुका है|