लखनऊ : तिहरे हत्याकांड की जांच के दौरान आखिर बीस दिन बाद प्रधान के भाई पवन समेत अन्य परिजनों ने चुप्पी तोड़ ही दी। उन्होंने राजा भैया और उनके करीबियों पर धमकी देने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग की है।
सीबीआइ टीम बलीपुर से कैंप कार्यालय के लिए जैसे ही शनिवार दोपहर बाद लगभग 1 बजे रवाना हुई तो प्रधान के भाई पवन यादव की चुप्पी टूट गई और उसने 2004 से शुरू हुई अदावत की भयावह कहानी का चिट्ठा खोलकर रख दिया।
पवन ने बताया कि जिस दिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व नगर विकास मंत्री आजम खां उनके घर आए थे, उसे व फूलचंद्र को नजर बंद कर दिया गया था। मुख्यमंत्री व नगर विकास मंत्री से नहीं मिलने दिया गया। उस दिन भी बाबागंज विधायक के मोबाइल पर राजा भैया ने धमकी दी थी और कहा था कि अगर सीएम के सामने मुंह खोलोगे तो ठीक नहीं होगा। पवन का आरोप है कि राजा के करीबी गुड्डू सिंह और नन्हे सिंह आए दिन धमकी दे रहे हैं। उसने कहा कि यह सब बातें वह पूछताछ के दौरान सीबीआइ को दर्ज करा चुका है।
पवन यादव ने आरोप लगाया कि वर्ष 2004 में जब बसपा शासनकाल में समय बेंती पक्षी बिहार में विद्युतीकरण के दौरान उनके पिता दुखी राम ने अधिकारियों के कहने पर कुछ मजदूरों को वहां काम करने के लिए भेज दिया था। यही से शुरू होती है राजा भैया व उनके समर्थकों की खुन्नस। उसी के दो माह बाद राजा भैया के समर्थकों ने उसक घर पर चढ़कर करीब एक घंटे तक फायरिंग की, उस दौरान उनकी मदद को कोई नहीं आया । यहां तक की पुलिस ने उल्टा ही मुकदमा लिखकर उसके भाईयों को जेल भेज दिया। इसके बाद प्रधान नन्हे को राजा भैया समर्थक अगवा कर ले गए और जमकर मारा पीटा। तब से अभी तक पूरे परिवार को खत्म करने की धमकी बराबर मिल रही थी, जो नन्हे और सुरेश की हत्या के बाद सामने है।
प्रतापगढ़ में कुंडा में दो मार्च को वलीपुर गांव में प्रधान नन्हे यादव की हत्या के बाद रात में सीओ कुंडा जिया उल हक तथा प्रधान के भाई की हत्या की जांच कर रही एजेंसी सीबीआइ ठोस कदम बढ़ा रही है। अब प्रधान की हत्या के चश्मदीद चाय की दुकान के मालिक चोखे लाल के तीन चक्र की पूछताछ के बाद सीबीआइ को मामला जल्द ही पटरी पर आने का भरोसा है। चोखे लाल ही प्रधान की हत्या का प्रत्यक्षदर्शी है। सीबीआइ चोखे लाल से कई बार पूछताछ कर चुकी है। जब प्रधान की हत्या हुई तब रिवाल्वर उनके पास था लेकिन हत्यारों ने उन्हें असलहा निकालने का मौका ही नहीं दिया। सीबीआइ अब इस प्रश्न का जवाब भी चाहती है कि आखिर हत्या के बाद लाइसेंस रिवाल्वर प्रधान के घर कैसे पहुंचा।