उपनिरीक्षकों की प्रोन्नति को कैबिनेट की मंजूरी, हाईकोर्ट ने किया जवाब तलब

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लखनऊ : उप निरीक्षकों की निरीक्षक पद पर प्रोन्नति के लिए बनाई गयी नई नियमावली को कैबिनेट से मंजूरी मिल गयी है। इस नियमावली के तहत सूबे में निरीक्षक के 1658 पदों पर प्रोन्नति होगी। इसमें पचास प्रतिशत ज्येष्ठता के आधार पर और पचास प्रतिशत लिखित परीक्षा के आधार पर होगी। इस समय प्रदेश में निरीक्षकों के 73 प्रतिशत पद खाली हैं। इसके अलावा दरोगा भर्ती में घंटे भर में 10 किलोमीटर की दौड़ को घटा दिया गया है। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद उपनिरीक्षक पद पर दौड़ के लिए पुरुष संवर्ग को 35 मिनट में 4.8 किलोमीटर और महिलाओं के लिए 20 मिनट में 2.4 किलोमीटर की दूरी निर्धारित की गयी है।

उधर हाईकोर्ट ने प्रदेश पुलिस में दरोगा से इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नति के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि प्रोन्नति याचिका के निर्णय की विषयवस्तु होगी। प्रदेश के बीस हजार दरोगाओं में से दो हजार आठ सौ इंस्पेक्टर पदों पर प्रोन्नति के लिए गत एक मार्च को जारी की गयी सेवा नियमावली की वैधता को याचिका में चुनौती दी गयी है। याचिका 80 दरोगाओं द्वारा सामूहिक रूप से दाखिल की गयी है। यह आदेश न्यायमूर्ति विनीत सरन तथा न्यायमूर्ति अजय लांबा की खंडपीठ ने दरोगा अशोक कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है।

याची अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि दरोगाओं की प्रोन्नति के लिए बनी संशोधित नियमावली भेदभावपूर्ण है तथा समान रूप से प्रोन्नति पाने के अधिकार का उल्लंघन है। नियमावली में व्यवस्था दी गयी है कि 50 फीसदी सीटें वरिष्ठता के आधार पर तथा शेष 50 फीसदी सीटें विभागीय लिखित परीक्षा के आधार पर भरी जानी है। यह व्यवस्था एक ही कैडट के बीच प्रोन्नति में विभेद पैदा करती है। एक कैडर की प्रोन्नति प्रक्रिया एक होनी चाहिए। वर्तमान नियमावली में एक कैडर के लिए प्रोन्नति की दी प्रक्रिया अपनाना नैसर्गिक न्याय के सिद्धातों का उल्लंघन है। इस व्यवस्था से कनिष्ठों को परीक्षा व साक्षात्कार के आधार पर प्रोन्नति दे दिया जायेगा। जिससे पुलिस बल का मनोबल प्रभावित होगा। याची का कहना है कि या तो वरिष्ठता के आधार पर प्रोन्नति दी जाय या फिर लिखित परीक्षा के आधार पर प्रोन्नति दी जाय। याचिका की सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।