हथियारों की खरीद में दुनिया में नंबर वन बना भारत

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Army Dipak Gun

नई दिल्ली: भारत दुनिया में हथियारों की खरीद में नंबर वन देश बन गया है। वहीं चीन दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा हथियारों का निर्यातक बन गया है। इससे पहले ब्रिटेन इस स्थान पर था। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट [सिपरी] की एक रिपोर्ट में यह बातें सामने आई हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान द्वारा चीन से भारी मात्रा में हथियारों की खरीद किए जाने के बाद चीन इस सूची में पांचवें नंबर पर आया है। पहले इस नंबर पर ब्रिटेन हुआ करता था। वर्ष 2008 से 2012 के बीच अमरीका, रूस, जर्मनी, फ्रांस और चीन दुनिया में परंपरागत हथियार बेचने वाले पांच सबसे बड़े देश थे। दुनिया भर में हथियारों की कुल बिक्री में अमेरिका की 30 प्रतिशत और रूस की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी की तुलना में चीन की पांच प्रतिशत की हिस्सेदारी हालांकि बहुत कम है। 1950 के बाद यह पहला मौका है जब ब्रिटेन इस सूची में पांचवें नंबर से नीचे चला गया है।

सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक मंदी से जूझ रहे यूरोपीय देशों में हथियार खरीदने के चलन में आई कमी की वजह से इस सूची में भी काफी कुछ बदलाव आया है। वहीं मौजूदा दौर में एशिया में हथियारों की खरीद में बाढ़ आ गई है। पूरी दुनिया में हथियार खरीद की तुलना में अकेले एशिया में ही यह करीब 47 फीसद है। मौजूदा दौर में दुनिया में हथियारों के पांच सबसे बड़े आयातक देशों के रूप में भारत, चीन, पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया भर के करीब 16 फीसद हथियारों का आयात करना है। वहीं चीन छह फीसद हथियारों का आयात करता है और सिंगापुर करीब पांच फीसद हथियारों का आयात करता है। रिपोर्ट में दिए आंकड़ों पर यदि नजर डाली जाए तो भारत भारत चीन की तुलना में सौ फीसद से भी ज्यादा हथियारों का आयात करता है। भारत ने वर्ष 2005-2007 के दौरान जितने हथियारों का आयात किया था उससे करीब 59 फीसद ज्यादा हथियारों का आयात उसने वर्ष 2008-2012 में किया है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2008-12 के दौरान भारत ने इस दौरान रूस से 100 से ज्यादा सुखोई -30एमकेआई लड़ाकू विमान, तीन न्-50ईएचआई एयरबॉर्न अर्ली वार्निग एयरक्राफ्ट, परमाणु पनडुब्बी और अमेरिका से 8 ऐटी सबमरीन एयरक्राफ्ट आयात किए हैं। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2003-07 के मुकाबले 2008-12 में चीन का हथियारों का निर्यात 17 फीसद बढ़ गया। इसमें सबसे अहम बात यह है कि चीन के कुल निर्यात का करीब 55 फीसद हथियार केवल पाकिस्तान को सप्लाई किया जाता है।

उधर इंडियन मिलिटरी की बुनियाद में इंटरनैशनल आर्म्स एजेंट की भीतरी तह तक का भी पता चलता है। पता चलता है कि इंडियन आर्मी के कई महत्वपूर्ण और संवेदनशील डील का इंटरनैशनल एजेंटो को पहले ही पता चल जाता था। हथियार बनाने वाली कंपनियों को यह महत्वपूर्ण दस्तावेज आर्म्स एजेंट अभिषेक वर्मा पहुंचाता था। अभी ताजा डॉक्युमेंट्स रक्षा मंत्रायलय और सीबीआई को मिले हैं जिससे पता चलता है कि अभिषेक वर्मा का सीधा कनेक्शन इंटरनैशनल आर्म्स कंपनी सिग सावर से है। तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल वीके. सिंह ने एक फैक्ट शीट तैयार की थी जिसमें इस तरह के 45 महत्वपूर्ण और संवेदनशील आर्म्स डील शामिल थे।

इन टॉप-सीक्रेट डॉक्युमेंट्स में मिलिटरी और संभावित डील से जुडे़ कई महत्वपूर्ण और संवेदनशील योजनाएं थीं। इसमें आर्मी के बहुमूल्य डिटेल्स- डील की क्वॉन्टिटी, नाम, प्रस्ताव और उसके प्रोग्रेस शामिल थे। गौरतलब है आर्मी में इस तरह के दस्तावेज मोस्ट क्रिटिकल प्रॉजेक्ट के हिस्सा होते हैं। यह डॉक्युमेंट जाहिर तौर पर आर्मी हेडक्वॉटर द्वारा तैयार करने के कुछ ही दिनों बाद लीक हुआ। इसके बाद कथित तौर पर अभिषेक वर्मा ने अमेरिका स्थित अपने फंड मैनेजर दोस्त सी. एडमंड्स एलन को भेज दिया। सीबीआई ने इस डॉक्युमेंट्स के लीक होने की खबर की पुष्टि कर दी है। सीबीआई ने कहा कि हम इस मसले पर नए सिरे से जांच करेंगे। इसमें खास करके अमेरिका की हथियार बनाने वाले कंपनी सिग सावर को वर्मा द्वारा दी गई जानकारी की गहाराई से जांच की जाएगी। आर्मी ने इस मुद्दे पर कहा कि हम नए डॉक्युमेंट्स के कॉन्टेंट की स्टडी कर रहें हैं।