केंद्र सरकार पर खतरा, डीएमके ने समर्थन वापस लिया

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नई दिल्ली। श्रीलंका में तमिलों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार के मुद्दे पर डीएमके ने केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। डीएमके के कुल 18 सांसद हैं और उनके यूपीए से बाहर जाने से केंद्र सरकार पूरी तरह समाजवादी पार्टी पर निर्भर हो गई है। यानी अगर समाजवादी पार्टी भी सरकार से समर्थन वापस ले लेती है तो मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार गिर जाएगी।

इससे पहले डीएमके ने आज संसद में प्रश्नकाल स्थगन का नोटिस दिया था। हालांकि दिल्ली कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया गांधी ने भरोसा जताया था कि उनकी पार्टी तमिलों के मानवाधिकारों का समर्थन करती है और उनके मानवाधिकारों के प्रति कांग्रेस पार्टी का नजरिया बिल्कुल साफ है।करूणानिधि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को ब्लेकमेल भी कर रही है| केंद्र को अल्टीमेटम भी दिया है की यदि शुक्रवार तक केंद्र उनकी मांगे मान ले तो समर्थन पर वापस भी सोच सकती है|
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पहले डीएमके ने संकेत दिए थे कि वो सरकार से बाहर जा सकती है यानी सरकार में न रहकर उसे बाहर से समर्थन दे सकती है लेकिन पार्टी सुप्रीम करुणानिधि ने कुछ देर पहले प्रेस वार्ता में ये बात साफ कर दी कि वे इस मुद्दे पर समझौते के मूड में नहीं हैं और न सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि यूपीए से भी बाहर जा रहे हैं।

डीएमके के इस कदम से केंद्र सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं। अब सरकार पूरी तरह समाजवादी पार्टी पर निर्भर हो गई है। अगर समाजवादी पार्टी सुप्रीम मुलायम सिंह सरकार को दिया जा रहा बाहर से समर्थन वापस ले लेते हैं तो मनमोहन सरकार गिर जाएगी और देश पर मध्यावधि चुनाव का संकट गहरा जाएगा।
यूपीए के तीन वरिष्ठ मंत्री पी चिदंबरम, ए के एंटनी और गुलाम नबी आजाद करुणानिधि को मनाने चेन्नई पहुंचे थे लेकिन कांग्रेसी नेताओं और करुणानिधि के बीच हुई बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल पाया।

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